पटनाः नीतीश कुमार ने ससंद में सीएए के समर्थन के बाद अब बिहार विधानसभा में बहस की बात कही है. नीतीश कुमार ने कहा कि सीएए पर हम विशेष रूप से चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि एनआरसी का तो सवाल ही नही है. एनआरसी का कोई औचित्य नहीं है. बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने नीतीश कुमार से सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर सवाल उठाए थे.


पहली बार नीतीश कुमार ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी एनआरसी पर साफ कर दिया है. एनपीआर में कुछ और भी पूछा जा रहा है. हम भी चाहेंगे कि इस विषय पर चर्चा हो. यदि सब लोग चाहेंगे तो सदन में भी चर्चा होगी. हम भी चाहेंगे कि जातिगत जनगणना हो. जनगणना कास्ट बेस्ड होना ही चाहिए."


सीएए पर समर्थन के बाद बंटी जेडीयू


नीतीश का ये बयान यूं ही नहीं आया है. सीएए और एनआरसी पर सीएम नीतीश ने पिछले साल 2018 में विधान सभा के शीत सत्र में एनआरसी को लेकर उठे सवालों पर नीतीश कुमार ने कहा था कि वो अपने पार्टी के नेताओं के साथ इस विषय पर सलाह ले रहे हैं. किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद ही इसपर कोई बात करेंगे.


लोकसभा में समर्थन के बाद जेडीयू दो खेमें में बंट गई. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्य सभा सांसद पवन वर्मा ने इसका विरोध किया. तब नीतीश ने दोनों नेताओं को इसका समर्थन करने की मजबूरी बता शांत कर दिया.


नीतीश को एहसास हुआ कि इसका समर्थन मुश्किल है. इससे पार्टी को काफी नुकसान होगा. फिर नीतीश ने इसे नहीं लागू करने का ऐलान कर दिया. अब सवाल ये उठता है कि नीतीश सीएए पास हो जाने के बाद इसपर बहस की बात क्यों कर रहे हैं?


क्या बिहार चुनाव के कारण चुप हैं नीतीश कुमार


दरअसल, बिहार में साल 2020 में चुनाव होंगे. एनडीए में विधान सभा सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. दूसरी तरफ बिहार सरकार ने बाढ़ आने से हुई क्षति पर लोगों को करीब 2200 सौ करोड़ रुपये मुवावजा के तौर पर पीड़ितों के खाते में नगद ट्रांसफर किए हैं. केंद्र सरकार ने इस मद में महज़ 400 करोड़ का अंतरिम सहायता दिया है. ऐसे में नीतीश कुमार का पूरा ध्यान साल 2020 के विधान सभा चुनाव पर है.


राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अजय आलोक का मानना है कि सीएए पर नीतीश ने जो स्टैंड लिया उसके पीछे क्या वजह है वो इसे समझाना चाहते हैं. नीतीश ये साफ करना चाहते हैं कि सीएए को समर्थन देना उनकी पार्टी की नीति और विचार के अनुरूप ही है.


क्या कहते हैं विश्लेषक


एक और राजनीतिक विश्लेषक अशोक मिश्रा ये मानते हैं कि नीतीश कुमार ने जब एक बार इस बिल को समर्थन दे दिया और अब वह कानून बन गया तो इसपर वापस कोई बात होने जैसी कोई बात ही नहीं होगी. अगर कोई पार्टी के अंदर मतभिन्नता होगी तो उसपर वो चर्चा कर बात को खत्म करेंगे.


हालांकि, विधान सभा में विपक्ष के नेता के इन सब मुद्दों पर हुए सवाल के जवाब के क्रम में वो विशेष चर्चा की बात कह रहे होंगे. नीतीश ने पहली जनवरी को कहा था कि सीएए, एनआरसी या फिर एनपीआर जैसे मुद्दों पर 19 जनवरी के बाद बात करेंगे.


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