गोरखपुर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन और देश के प्रख्‍यात वैज्ञानि‍क के. सिवन दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के शुक्रवार को होने वाले 37वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्‍य अतिथि सम्मिलित होने के लिए गोरखपुर पहुंचे हैं.


मीडिया से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि इसरो देश के 75वें स्‍वतंत्रता दिवस के पहले मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा. वहीं 2019 की शुरुआत में चन्‍द्रयान-2 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. अं‍तरिक्ष एजेंसी 4 उपग्रह लांच करेगी. जो ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी 100 जीबीपीएस की उच्‍च डेटा कनेक्टिविटी प्रदान करेगी.


वैज्ञानिक के. सिवन ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहली बार 2022 तक अंतरिक्ष में मानव भेजेगा. जबकि इसकी महत्वाकांक्षी परियोजना चंद्रयान-2 जनवरी से फरवरी 2019 में पूरी की जाएगी. चंद्रमा पर पहली बार स्वदेशी अंतरिक्ष यान की लैंडिंग की जाएगी.


इसरो के चेयरमैन सिवन ने कहा कि "हमने 2021 के अंत और 2022 तक का लक्ष्‍य रखा है. हमने अंतरिक्ष में मानव भेजने की समयसीमा तय की है. हमारे प्रधानमंत्री ने देश के स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह से पहले इसे पूरा करने का कार्य दिया है."


उन्होंने कहा,"चंद्रयान -2 अगले वर्ष जनवरी से फरवरी तक चंद्रमा पर भेजा जाएगा. चंद्रयान 2 की चंद्रमा पर लैंडिंग को आसान बनाने और चंद्रमा की सतह पर व्यापक प्रयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसरो में अगले तीन से छह महीने तक इसके लिए कार्य करेंगे."


100 GBPS की कनेक्टिविटी प्रदान करने को तैयार


उन्‍होंने कहा कि इसरो संचार, नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश की सेवा कर रहा है. भारत के हर व्यक्ति को इस तरह से इसरो की सेवाओं से जोड़ा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इसरो को डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में उच्‍च डेटा तकनीक पहुंचाने का लक्ष्‍य मिला है.


इसरो अंतरिक्ष में चार संचार उपग्रहों को स्‍थापित कर 100 जीबीपीएस की उच्च डेटा कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए तैयार है. इसमें से एक प्रक्षेपण के लिए तैयार है. अन्‍य तीन नवंबर, दिसंबर और अगले साल की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाएगा.


इंजीनियरों की क्षमता का इस्‍तेमाल करने का प्रयास


उन्‍होंने कहा कि देश की 75 प्रतिशत से अधिक आबादी दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में रहती है. हमने पिछले 50 सालों में बहुत से काम किए हैं. उन्‍होंने कहा कि हमने अपने वैज्ञानिकों की मदद से बगैर किसी अ‍न्‍य देश की मदद के स्‍वदेशी अंतरिक्ष यान बनाया है.


इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि भारतीय विश्वविद्यालय से निकलने वाले सभी संभावित इंजीनियरों की भर्ती कर पाना भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी के लिए संभव नहीं है. फिर भी हम उनकी क्षमता का इस्‍तेमाल करने का प्रयास कर रहे हैं.


भावी इंजीनियरों को मिलेगा देश सेवा का मौका


इसरो युवा इंजीनियरों को छह इंक्यूबेशन सेंटर, छह शोध केन्‍द्र और उत्तर भारत, दक्षिण, पूर्व, मध्य और पश्चिम भारत में छः शोध पीठ खोलकर राष्ट्र की सेवा करने का अवसर प्रदान करने को तैयार है. उन्‍होंने कहा कि अगरतला में एक इंक्‍यूबेशन सेंटर पहले ही खोला जा चुका है. जालंधर, भुवनेश्वर, इंदौर, नागपुर और कोच्चि में भी जल्‍द ही इंक्‍यूबेशन सेंटर खोला जाएगा. इसी तरह गुवाहाटी, जयपुर, कुरुक्षेत्र कन्याकुमारी, पटना और वाराणसी में अनुसंधान केन्‍द्र खोलने की तैयारी है.


यूएफओ के अस्तित्‍व को साबित करने के कोई साक्ष्‍य नहीं


इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने एक सवाल के जवाब में यूएफओ के अस्तित्‍व को खारिज कर दिया. उन्‍होंने कहा कि हमारे पास अनअडेंटिफाइड फ्लाइंग आब्‍जेक्‍टस् (यूएफओ) यानी उड़नतश्‍तरी और एलियन के अस्तित्‍व को साबित करने के लिए कोई साक्ष्‍य नहीं है. अभी तक अंतरिक्ष में ऐसा कोई भी ग्रह अस्तित्‍व में नहीं आया है जहां पर मानव जीवन के सुबूत मिले हैं. हालांकि कुछ विदेशी अंतरिक्ष ऐजेंसी इस पर काम कर रही थीं. लेकिन, अब अंतरिक्ष की संरचना और ग्रहों पर काम हो रहा है. उन्‍होंने कहा कि यूएफओ की अवधारणा सिर्फ अनुमान है. इसका कोई ठोस प्रमाण हमारे पास नहीं है.