(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जम्मू कश्मीर: आतंक पर फाइनल असॉल्ट के लिए सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन को दी मंज़ूरी
जम्मू कश्मीर सरकार ने प्रदेश में सीमा पार से नशीले पदार्थो की सप्लाई कर आतंकवाद को हवा देने की पाकिस्तान की नापाक हरकत का जवाब देने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन को मंज़ूरी दे दी है.
जम्मू: जम्मू कश्मीर से आतंकवाद के खात्मे के लिए ऑपरेशन ऑल आउट के बाद अब इस आतंकवाद पर फाइनल असॉल्ट के लिए प्रदेश सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन को मंज़ूरी दी है. इस फोर्स का गठन सीमा पार से नशीले पदार्थो के ज़रिये जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को हवा देने वाले सिंडिकेट की कमर तोड़ने कि लिए किया गया है. जम्मू कश्मीर सरकार ने प्रदेश में सीमा पार से नशीले पदार्थो की सप्लाई कर आतंकवाद को हवा देने की पाकिस्तान की नापाक हरकत का जवाब देने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के गठन को मंज़ूरी दे दी है. प्रदेश में नशीले पदार्थों की सप्लाई साइड को तोड़ने, इस नशे को सप्लाई करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के और साथ ही नशीली पदार्थों के मामलों की जांच के लिए एक विशेष फोर्स की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी, क्योंकि पाकिस्तान लगातार नशीले पदार्थों की सप्लाई कर आखिरी सांसे भर रहे आतंकवाद को ज़िंदा रखने की कोशिश कर रहा था.
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के आईजी मनीष किशोर सिन्हा के मुताबिक यह फोर्स न सिर्फ नारकोटिक्स के मामलों का निपटारा करेगी, बल्कि उसी के संदर्भ में सूचनाएं इकट्ठा करेगी. इस फोर्स में शामिल 100 अधिकारियों और जवानों को सिर्फ नारकोटिक्स के मामले डील करने में ही ट्रेनिंग दी जाएगी. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के मुताबिक नारको टेररिज्म में जो बड़ी मछलियां हैं, उन्हें इस फोर्स के गठन के बाद आराम से पकड़ा जाएगा.
उनके मुताबिक नारकोटिक्स में पैसे का लेन देन बहुत बड़े स्तर पर होता है और इतने पैसे को कमाने की लालच में लोग इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं. कोई भी शख्स इस काम में बहुत जल्दी शामिल हो जाता है, क्योंकि इसमें कमाई के बहुत साधन हैं और जो इसमें बड़ी मछलियां इतनी दूर होती हैं कि पैसा कमाने के लिए आए इन लोगों की पहुंच उन तक नहीं होती. सप्लायर और पैसा कमाने आए इन लोगो में दूरी होने के चलते बड़ी मछलियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलते और ऐसे में चुनौती यह रहती है कि इन छोटी मछलियों को पकड़कर उन बड़ी मछलियों तक पहुंचना है. वहीं जानकार मानते हैं कि इस फोर्स की जरूरत बहुत समय से लग रही थी, क्योंकि नारको टेररिज्म के आयाम बहुत बदल गए हैं. रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (रिटायर्ड) अनिल गौर मानते है कि आतंकवादी सीमा पार से हो रही नशे की इस सप्लाई को बेचकर पैसा कमा रहे हैं और साथ ही इस नशे की लत युवाओं में लगाकर उन्हें आतंकवाद के प्रति आकर्षित कर रहे हैं. उनके मुताबिक जिस तरह से एनआईए हवाला के लेनदेन पर नजर रख रही है, ऐसे में बचने के लिए अब पाकिस्तान ने सीधे नशीले पदार्थ भेजने शुरू कर दिए हैं, ताकि वह जांच के शिकंजे में ना फंसे.
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इस फोर्स के गठन के बाद इसका सीधा असर पाकिस्तान पर पड़ेगा, क्योंकि पाकिस्तान नारकोटिक्स के जरिए ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. उनके मुताबिक अगर नशीले पदार्थों की सप्लाई बंद हो जाती है तो सीधा असर न केवल आतंकवाद पर बल्कि नशाखोरी पर भी पड़ेगा. इसके साथ ही इससे अंडरग्राउंड वर्कर्स का जो समर्थन आतंकवादियों को मिलता था, उसपर भी असर पड़ेगा क्योंकि अक्सर अंडरग्राउंड वर्कर्स नशे की एवज में ही आतंकियों के साथ काम करते हैं.
इसके साथ ही बिना नशे के आतंकियों के लिए युवाओं को आतंकवाद के लिए आकर्षित करना भी मुश्किल हो जाएगा. फोर्स का दावा है कि जो आतंकवाद को हवा देने के लिए सीमा पार से इस धंधे को चला रहे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. लेकिन, उनके जो लोग जम्मू कश्मीर में बैठे हैं, जो उनके इशारों पर काम कर रहे हैं. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.