जम्मू: भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तो में तल्खी के बाद अब वैश्विक महामारी कोरोना ने जम्मू में बाबा चमलियाल के भक्तों की आस्था पर चोट की है. कोरोना वायरस के चलते इस साल भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लगने वाले इस वार्षिक मेले को रद्द कर दिया गया.
जम्मू के साम्बा ज़िले के रामगढ सेक्टर में जून महीने की आखिरी गुरूवार को लगने वाले वार्षिक बाबा चमलियाल के मेले को इस साल कोरोना वायरस के चलते रद्द कर दिया गया. मेला रद्द होने के कारण पिछले दो सालों से भारत और पाकिस्तान के रिश्तो की तल्खी के चलते इस साल भी न तो पाकिस्तानी रेंजर्स की चद्दर यहां चढ़ाई गयी और न ही इस मज़ार से हर साल पाकिस्तान भेजा जाने वाला शक्कर और शरबत भेजा गया. वहीं, बाबा के मज़ार पर इस मज़ार के पुजारियों और यहां के सेवादारों ने चद्दर चढ़ाई और गिने चुने भक्त ही यहां पहुंचे.
गौरतलब है कि बाबा चमलियाल के इस मेले को भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हर साल इसलिए आयोजित किया जाता है क्योंकि बाबा को भारत और पाकिस्तान दोनों देशो के लोग मानते हैं. हर साल इस मेले में जम्मू में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात पाकिस्तानी रेंजर्स चद्दर चढ़ाते है तो वहीं बाबा की मज़ार से पाकिस्तानी श्रद्धालुओं के लिए शक्कर (मिट्टी) और (शर्बत) भेजा जाता है, जिसे चर्मरोग का रामबाण इलाज माना जाता है.
इस मेले में साल 2018 से पहले तक हर साल पाकिस्तानी रेंजर्स आते थे और अपनी चद्दर चढ़ाते थे, लेकिन 12 जून 2018 को इसी मज़ार के साथ सीमा पर चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण करने गयी एक बीएसएफ की टीम पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने फायरिंग की थी, जिसमे एक अधिकारी समेत बीएसऍफ़ के चार जवान शहीद हुए थे. इस घटना के बाद से न तो साल 2018 और न ही साल 2019 में पाकिस्तानियो को इस मेले में शामिल होने की इजाज़त दी गयी.
वहीं, मेला रद्द होने के चलते यहां पहुंचे श्रद्धालुओं काफी नाखुश हैं. इनके मुताबिक जून के आखिरी गुरूवार को यहां हर साल लाखो भक्त पहुंचते थे और बाबा का आशीर्वाद लेते थे. साथ ही चर्म रोग से पीड़ित लोग भी यहां आकर शक्कर और शरबत का लेप लगा कर ठीक होते थे, लेकिन इस साल कोरोना की मार उन भक्तों की आस्था पर पड़ी है.
तल्खी का असर पाकिस्तान में मौजूद भक्तो को भी उठाना पड़ा है. मान्यता है कि बाबा चमलियाल जिनका असली नाम बाबा दिलीप सिंह था कि मान्यता भारत और पाकिस्तान दोनों देशो में थी जिससे कई लोग उनसे ईर्ष्या करने लगे. एक दिन बाबा के दुश्मनों ने उन्हें इस मज़ार से 500 मीटर दूर पाकिस्तान के सैदावाली गांव में बुलाया और उनका सिर कलम कर दिया. ऐसा माना जाता है कि बाबा का सिर तो सैदावाली में ही गिर गया लेकिन उनका धड़ उनकी शक्तियों के चलते भारत में आ गिरा जहां उनकी मज़ार है.