पटना: उपचुनाव के नतीजों के बाद जेडीयू नेता ने बीजेपी को लोकसभा चुनाव के लिए चेताया है. पार्टी महासचिव श्याम रजक ने कहा कि केन्द्र सरकार को दलित समाज की मांगों पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि ऐसा नहीं होने पर लोकसभा चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. रजक ने कहा कि सभी राज्यों के उपचुनाव में जिस तरह के नतीजे आएं हैं वो सबक के साथ साथ चेतावनी भी है. दलितों को केन्द्र सरकार से जो अपेक्षाएं थी वो पूरी नहीं हो पाई हैं जिसका साफ असर उपचुनाव के परिणाम में दिख रहा है.
जेडीयू नेता के ये तेवर एक बार फिर इशारा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी और बीजेपी में सबकुछ ठीक नही है. श्याम रजक की प्रतिक्रिया में सीधे तौर पर आरोप की झलक है. श्याम रजक ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर को याद तो किया गया, लेकिन उनके मूल संकल्प की अनदेखी की गई. समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाने लिए उनके जो विचार थे, उन संकल्पों और विचारों पर अमल नहीं किया गया. दलितों के लंबित मांगों को पूरा करने में भी रफ्तार काफी धीमी है.
उन्होंने कहा कि दलितों की हत्या, उनपर अत्याचार, अनाचार और दहशत के वातावरण में कोई कमी नहीं हुई. चाहे गुजरात के उना और राजकोट का मामला हो या रोहित वेमुला का मामला हो या फिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दलितों के दमन का मामला हो, इन घटनाओं से यह ज़ाहिर है कि दलितों को लगातार प्रताड़ित किये जाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही. इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को जल्द से जल्द रोकने की जरूरत है.
उन्होंने दलितों के अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम कानून 1989 को संविधान के नौवीं अनुसूची में शामिल करने, प्रोन्नति में आरक्षण, न्यायिक सेवा में आरक्षण, निज़ी क्षेत्रों में आरक्षण, नौकरियों के बैकलॉग को पूरा करना , भूमिहीन दलितों को 10 डिसमिल जमीन मुफ्त में मुहैया कराने जैसे मांगों को तुरंत पूरा करने की मांग की.