महागठबंधन बिखर रहा है, जीतन राम मांझी ने इसकी शुरुआत कर दी है- जेडीयू
संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए लेकिन वे बिहार से पलायन कर गए हैं. राहुल गांधी ने अपनी जिम्मेदारी लेते हुए हार को स्वीकार लेकिन तेजस्वी हार मानने को तैयार नहीं हैं.
पटना: जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा है कि सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि ये तथाकथित महागठबंधन बना है वो चुनाव के बाद टूट कर बिखर जाएगा. ये हो भी रहा है. अब महागठबंधन की पार्टियां एक दूसरे को कोसने लगी हैं. हम के जीतनराम मांझी ने इसकी शुरुआत भी कर दी है. अब उनको महागठबन्धन रास नहीं आ रहा है. उधर कांग्रेस बिहार में हार का पूरा ठीकरा आरजेडी पर फोड़ रही है. उनका कहना है कि बिहार में जिसको दूल्हा बनाया था उसने पूरी बारात की गाड़ी पलट दी. अब बिहार से दूल्हा फरार है. तेजस्वी यादव को इस पूरे हार का जिम्मेदार माना जा रहा है और तेजस्वी है कि अपनी गलती को मानने को तैयार नहीं है. हार की जिम्मेदारी लेने की बारी आई तो तेजस्वी बिहार से पलायन कर गए हैं.
संजय सिंह ने कहा कि बिना मकसद, उद्देश्य, लक्ष्य, एजेंडा और बिना नेतृत्व को लेकर ये महागठबंधन बनाया गया था. देश स्तर पर राहुल गांधी को जिम्मेदारी दी गई थी और बिहार में अपने आप तेजस्वी यादव ने कमान ली थी. राहुल गांधी ने अपनी जिम्मेदारी तो ली हार को स्वीकारा और इस्तीफा दिया लेकिन तेजस्वी यादव हारे भी और हार मानने को तैयार भी नहीं हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव को लेकर महागठबंधन में स्वीकार्यता को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी यादव जैसे अपने घर में जिद्द करते हैं और जैसे पार्टी में हठधर्मिता करते हैं उसी तरह से महागठबन्धन में भी चलता रहे हैं. चला भी लेकिन जिस घोड़े पर महागठबंधन ने दांव खेला था वो मैदान ही छोड़ कर फरार हो गया है. अब तो महागठबन्धन के नेता कहने लगे हैं कि उनका घोडा लंगड़ा निकल गया है.
संजय सिंह ने आगे कहा कि अभी तो सिर्फ महागठबंधन टूट रहा है. वो भी वक्त आएगा कि आरजेडी भी बिखर जाएगी. अब आरजेडी के पास ना तो नेता है और ना ही नेतृत्व है. ऐसे हालात में आरजेडी के सभी नेता अपने लिए दूसरे ठिकाने की तलाश है. वो टोह में है कि उन्हें दूसरे दल से बुलावा आये और वो आरजेडी को छोड़ निकल लें. अब आरजेडी के नेता लालू परिवार पार्टी से तंग आ चुके हैं. अब वो लालू परिवार की चाकरी नहीं करना चाहते हैं. जिसके खिलाफ महागठबंधन ने अपनी एकता बनाई थी और छोटे छोटे दल भी एक फूटे हुए नाव पर सवार हो गए. लेकिन वो ये नहीं समझ पाए कि एनडीए की एकता मजबूत है और इसी एकता के बदौलत पूरे बिहार में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत का परचम लहराया.