रांची: झारखंड में करीब 150 लोगों के कोरोना टेस्ट हो चुके हैं जिसमें से अभी तक एक भी मरीज कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है. झारखंड और बिहार जैसे राज्य से बहुत से लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए जाते हैं और अब कोरोना की वजह से किसी न किसी तरह से अपने घर वापस आ रहे हैं. ये वापस आने के साथ ही अपने साथ कोरोना बीमारी का खतरा भी बड़े महानगरों से लेकर आ रहे हैं.


अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोरोना के मरीज मिलते हैं तो क्या सरकार उससे लड़ने के लिए तैयार है? क्या सरकार के पास जरूरत भर की स्वास्थ्य सेवा है जिससे अधिक संख्या में कोरोना के मरीजों का इलाज या उनकी देखभाल हो सके?


क्या कहती है सरकार की मौजूदा स्थिति


क्योंकि अब जब कोरोना का संकट मुह फैलाकर दरवाजे पर खड़ा है तो राज्य सरकार को वेंटिलेटर और अन्य जरूरी चिकित्सा सामान की खरीद की याद आई है. राज्य सरकार वेंटिलेटर, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट सहित अन्य कई जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर निकाल रही है. जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में ये सारे उपकरण झारखंड मेडिकल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के माध्यम से नहीं खरीदे जाएंगे बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के जरिये खरीदे जाएंगे.


हालांकि ऐसा नहीं है कि झारखंड अकेला ऐसा राज्य है जहां वेंटिलेटर की कमी है बल्कि केंद्र सरकार भी ये बात मानती है कि इस समय वेंटिलेटर की ही सबसे ज्यादा जरूरत है.
जानकारी के मुताबिक 80 फीसदी कोरोना के मरीजों का इलाज दवा से ही हो जाता है और बाकी बचे 20 फीसदी लोगों को ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है.


फिलहाल देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 1100 पार हो गई और झारखंड के लिए गनीमत की बात ये है कि अभी तक राज्य में एक भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है.


कोरोना से जंग में आगे आया श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड, कर्मचारी जम्मू कश्मीर राहत कोष में दान करेंगे वेतन

Lockdown: लोगों की मदद के लिए RSS आया सामने, स्वयंसेवक 30 हजार परिवारों तक पहुंचा रहे हैं खाना