रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कोविड-19 मरीजों की बढ़ती संख्या और अलग- अलग जिलों में संक्रमण फैलने पर चिंता जताते हुए इसे युद्ध जैसे हालात बताया है और सरकार से पूछा है कि वह इससे निपटने के लिए कितनी तैयार है?
मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने सरकार से पूछा है कि इस युद्ध जैसे हालात से निपटने के लिए वह कितनी तैयार है? पीठ ने पूछा है, "सरकार के पास पर्याप्त मानव शक्ति और संसाधन है या नहीं? इस स्थिति से निपटने के लिए कोई ठोस योजना तैयार की गई है या नहीं." अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस संबंध में 24 अप्रैल तक एक रिपोर्ट उसे सौंपे.
शुक्रवार को वीडियोकांफ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि केंद्र सरकार से 25 हजार पीपीई, 10 हजार जांच किट और 300 वेंटिलेटर की मांग की गई थी और इसे तत्काल उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया था, लेकिन केंद्र सरकार से अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है और ना ही संसाधन ही दिए गए हैं.
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अपने स्तर से इस महामारी से निपटने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है और स्थिति से निपट भी रही है. केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए केन्द्र सरकार के सहायक महाधिवक्ता राजीव सिन्हा ने बताया कि सभी राज्यों की जरूरतों को देखते हुए संसाधन और जांच किट दिए जा रहे हैं.
उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन के उल्लंघन और कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर राज्य सरकार को हर दिन बुलेटिन जारी करने का सुझाव दिया है. हिंदपीढ़ी समेत रांची में लॉकडाउन के उल्लंघन के मामले पर हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की और महाधिवक्ता राजीव रंजन से जानकारी मांगी.
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