पटना: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल पटना के गांधी मैदान में रैली की. ऐसा तीस साल बाद हुआ है जब कांग्रेस ने गांधी मैदान पर ऐसी रैली की. राहुल गांधी ने इस रैली के जरिये चुनाव प्रचार का एजेंडा भी सेट करने की कोशिश की. लेकिन इस रैली के बाद महागठबंधन की मजबूती पर सवाल उठ रहा है. महागठबंधन की सहयोगी जीतनराम मांझी का पार्टी ने हम ने राहुल गांधी की रैली को फ्लॉप शो बताया है. हालांकि राहुल गांधी की इस रैली को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और जीतनराम मांझी ने भी संबोधित किया.


बिहार में कांग्रेस एक महागठबंधन का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस के अलावा लालू यादव की आरजेडी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, जीतनराम मांधी की एचएएम और शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल शामिल हैं. राहुल गांधी ने रैली में अपना चुनावी एजेंडा सेट कर दिया है. पटना की रैली में राहुल गांधी के हमलों के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ मोदी ही रहे.


राहुल गांधी ने कहा, ''मोदी सरकार किसान को साड़े तीन रुपये देती है और बीजेपी वाले ताली बजाते हैं. संसद में अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ देते हैं, नीरव मोदी को 33 हजार करोड़, चौकसी को 30 हजार करोड़ देते हो माल्य को 10 हजार करोड़ दिए.'' पटना की रैली के जरिये राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत भी कर दी. राहुल गांधी ने नोटबंदी का जिक्र किया और इसे सबसे बड़ा घोटाला करार दिया.


पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 30 साल बाद गांधी परिवार के किसी सदस्य ने पहली बार सार्वजनिक रैली की. 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गांधी मैदान में रैली की थी. इससे पहले 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ एक बड़ी रैली की थी.


एबीपी न्यूज़ के हाल के सर्वे देश का मूड में हालांकि इस गठबंधन के लिए बिहार में कोई बहुत अच्छे अनुमान सामने नहीं आए हैं. वैसे बिहार की सियासी जमीन कांग्रेस के लिए इतनी आसान भी नहीं है. इस गठबंधन का सीधा मुकाबला बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के गठबंधन से होना है. एनडीए में चुनाव से काफी पहले ही सीटों का बंटवारा कर चुका हैं.