बिहार: घर वापसी की ओर जीतन राम मांझी, कहा- राजनीति में कोई परमानेंट दुश्मन नहीं, JDU में विलय पर पार्टी में करेंगे बात
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अगर जीतन राम मांझी आना चाहेंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला नीतीश कुमार ही लेंगे.
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी घर वापसी की ओर कदम बढ़ाते नज़र आ रहे हैं. हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने आज फिर से एलान किया कि अगर 25 जून तक आरजेडी ने को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनाई तो वह बड़ा फैसला लेंगे. वहीं, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अगर वह वापस आना चाहेंगे तो उनका स्वागत होगा.
बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सूबे में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं. इसी क्रम में सोमवार को हम अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बिहार के राजनीतिक सीन में बड़े उथल-पुथल का संकेत दिया है. सूत्रों की माने तो मांझी महागठंबधन छोड़ एनडीए में शामिल हो सकते हैं. मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने 25 जून तक महागठबंधन को आखिरी अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद 26 जून को वह बड़ा फैसला ले सकते हैं.
इधर, जेडीयू में विलय के संबंध में मांझी ने कहा कि अभी हम कुछ नहीं कर सकते हैं. 25 तारीख को पार्टियों की बैठक बुलाई है, उसमें जो निर्णय होगा, उसको हम करेंगे. मान लीजिए हमारे साथ के लोग कहेंगे कि हम नीतीश जी के साथ जाएंगे. लेकिन नीतीश कुमार कहेंगे कि हम जीतन मांझी को नहीं लेंगे तब. समय की बात है, हमको फ्री हैंड हमारे कार्यकर्ता देंगे, कुछ दिनों का समय लगेगा रास्ता तय करने में और उसी के अनुसार हम काम करेंगे.
आरजेडी के साथ महागठबंधन में नहीं रहने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह तो आप लोग भी समझ सकते हैं कि हमने तीन बार कहा है कि इतनी तारीख तक अगर को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो हम सोचेंगे. 30 दिसंबर, जनवरी और अभी 25 जून तो क्या रोज हम ऐसा कहते रहेंगे. चुनाव की घोषणा होने वाली है आखिर हमें भी तैयारी करनी है. ऐसे में 25 जून तक जो फैसला होना है, हो जाए. नहीं तो 26 जून को हम अपना रास्ता अलग देख लेंगे.
‘राजनीति में कोई परमानेंट दुश्मन नहीं है’ जेडीयू में शामिल होने की स्थिति स्पष्ट नहीं करने के संबंध उन्होंने ने कहा कि राजनीति में कोई परमानेंट दुश्मन नहीं होता है. नीतीश जी कहते थे कि बड़का झूठा पार्टी है, बीजेपी मर जाएंगे लेकिन जाएंगे नहीं. आज उनके साथ हैं कि नहीं. लालू जी अच्छाई का भाषण देकर पैगंबर बने हुए हैं, उन्होंने बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी कि नहीं. संभावनाओं का खेल है, हमारी जो कमेटी है वो जो निर्देश देगी हम वही काम करेंगे.
नीतीश कुमार से नाराजगी दूर होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम सवाल पूछते हैं कि वो बीजेपी को कहते थे कि बड़का झूठा पार्टी है, मर जाएंगे मिट जाएंगे, लेकिन बीजेपी में नहीं जाएंगे. आज कहां हैं? आज जो लालू प्रसाद सांप्रदायिकता का ढोल पीट रहे हैं क्या उन्होंने बीजेपी के साथ सरकार नहीं बनाई थी. राजनीति में यह सब होता है. 25 तारीख के बाद हमारे लोग राय देंगे उसके हिसाब से हम काम करेंगे.
‘हमारी लोकतांत्रिक पार्टी है’ मांझी ने कहा कि हमारी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी है. हम अकेले कुछ नहीं बोल सकते हैं, हमारे यहां का छोटा कार्यकर्ता भी हमको होल्ड कर देता है. हमने सबको बुलाया है, जो फैसला होगा वही करेंगे. वहीं सीएम नीतीश से मुलाकात के संबंध में उन्होंने कहा कि हम जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से मिलने नहीं गए थे, हम मुख्यमंत्री से मिलने गए थे. आज भी हम कोशिश करेंगे कुछ समय लेने का क्योंकि हमारे क्षेत्र की कुछ समस्याएं हैं. वो मुख्यमंत्री हैं, समय अब बहुत कम है, उनसे अनुरोध करेंगे कि आप कब कीजिएगा, इलेक्शन डिक्लेअर होगा तब. इसलिए आप सहानुभूति दिखाते हुए काम कीजियेगा. यह कोई पॉलिटिकल मीटिंग नहीं है.
वहीं बैठक में होने वाले फैसले के संबंध में उन्होंने कहा कि कहना तो नहीं है क्योंकि रणनीति की बात है सियासत में. बैठक होगी उसमें जो फैसला लिया जाएगा वो हम बता देंगे. सही बात है कि मुझे दिल्ली जाना था लेकिन इधर तबीयत थोड़ी खराब हो गई है. लेकिन वहां शीर्ष नेता के साथ अभी अपॉइनमेंट नहीं लिया है. जिस दिन ले लेंगे आमतौर पर शाम में मुलाकात होती है, तो सुबह हम चले जाएंगे.
इधर, मांझी के इन बयानों के संबंध में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि हम बार-बार कह रहे हैं कि नीतीश जी का चेहरा एक चुनाव जिताने वाला चेहरा है, क्योंकि प्रदेश की राजनीति में नीतीश कुमार ने एक नया आयाम अपने 15 साल के कार्यकाल में कायम किया है. ऐसे में निश्चित रूप से जो लोग चाहते हैं कि आगे की राजनीति हम ताकतवर रूप से करें, सफल रूप से करें तो वह नीतीश जी के साथ आना चाहते हैं. मांझी जी बड़े नेता हैं, सीएम रह चुके हैं, प्रदेश के दलितों के बड़े नेता हैं. अगर वो आना चाहेंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे. लेकिन आखिरी फैसला नीतीश जी का है. पर वो आते हैं तो घर वापसी होगी उनकी.