लखनऊ: यूपी की कैराना लोकसभा और नूरपुर असेंबली सीट पर 28 मई को मतदान होगा. नतीजे 31 मई को आयेंगे. चुनाव आयोग ने तारीख़ों का एलान कर दिया है. अगले आम चुनाव से पहले ये मुक़ाबले बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परीक्षा हैं. हाल में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव जीतने के बाद से अखिलेश यादव सातवें आसमान पर हैं. इन चुनाव में एसपी के साथ गठबंधन करने से मायावती इंकार कर चुकी हैं. कैराना और नूरपुर सीटों पर बीजेपी का क़ब्ज़ा था.


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इस बार क्या होगा ? क्या बीजेपी फिर जीत पायेगी? या फिर समाजवादी पार्टी बाज़ी मार लेगी? जब भी राजनैतिक बहस होती है, चर्चा कैराना और नूरपुर की होती है. बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की मौत के बाद कैराना में उप चुनाव हो रहे हैं. विधायक लोकेंद्र सिंह चौहान की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जिसके कारण बिजनौर के नूरपुर विधान सभा सीट पर उप चुनाव का एलान हो गया है. ख़बर है कि हुकुम सिंह की बेटी को बीजेपी टिकट दे सकती है.


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समाजवादी पार्टी ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वैसे तो मायावती ने इस बार उप चुनाव से किनारा कर लिया है. दो महीने पहले हुए लोकसभा उप चुनाव में बीएसपी ने एसपी का समर्थन किया था. नतीजा ये रहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में ही बीजेपी हार गई. डिप्टी सीएम केशव मौर्य के फूलपुर में भी पार्टी को मुंह की खानी पड़ी.


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23 सालों बाद बीएसपी और समाजवादी पार्टी साथ आईं. इस साथ ने अपना असर भी दिखा दिया. लेकिन बुआ मायावती ने इस बार अपने भतीजे अखिलेश यादव को आशीर्वाद देने से मना कर दिया है. राज्य सभा चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार की हार से बहिन जी दुखी हैं.


लेकिन ये भी सच है कि बीजेपी को हराने के लिए मायावती के वोटर साइकिल की ही सवारी करेंगे. पश्चिमी यूपी में मुस्लिम और जाट वोटरों का दबदबा है. मायावती ने भले ही समर्थन न देने की बात कही है लेकिन उनके वोटर तो समाजवादी पार्टी के लिए वोट करेंगे.


बीजेपी हर हाल में दोनों सीटों पर क़ब्ज़ा बनाए रखना चाहती है. हार होने पर पार्टी के ख़िलाफ़ माहौल बनने लगेगा. इसीलिए बीजेपी हर हाल में इसे जीत लेना चाहती है. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं.