भोपाल: केंद्र से फंड में कटौती और पिछले कर्ज की वजह से मध्य प्रदेश सरकार की आर्थिक हालात नाज़ुक है. इस वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सरकार अब देश के वित्तीय एक्सपर्ट्स की मदद ले रही है. भोपाल के मिंटो हॉल में मंगलवार को ऑल्टरनेट प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग वर्कशॉप का आयोजन किया. इसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, कई कैबिनेट मंत्री और उच्च अधिकारी शामिल हुए. वर्कशॉप में प्रदेश में व्यापार के नए रास्ते खोजने के साथ सरकारी खर्च को कम करने पर चर्चा की गई.


मोंटेक सिंह बोले पीपीपी मॉडल सबसे बेहतर


योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और आर्थिक सलाहकार मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, "निजी निवेशक तभी आएगा जब उसे भरोसा होगा. इसके लिए पीपीपी मॉडल ही सबसे बेहतर विकल्प है. देश की सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए कानून बनाना चाहिए ताकि भरोसे का वातावरण बने."


मोंटेक सिंह ने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा, "जब वहां पर राजनीतिक स्थितियां बदलीं तो एक निजी एजेंसी ने पैसा लगाकर मेगा सिटी बनाई थी. दूसरी सरकार ने आकर उस फैसले को पलट दिया ऐसे में निवेशक, निवेश करने से पहले कई बार सोचता है." उन्होंने कहा, "पीपीपी मॉडल के प्रारूप अभी भी फाइनल नहीं हुए हैं, हर प्रदेश इसे अपने हिसाब से मैनेज कर रहे हैं."


सीएम बोले-निवेश से ही बढ़ेगी आर्थिक गतिविधियां


वर्कशॉप को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि आर्थिक गतिविधियां बनी रहें. इसके लिए निवेश ही रास्ता है. पूरा देश बदल रहा है. हमें भी बदलाव को स्वीकार करना होगा और उसके हिसाब से ही अपनी नीति और कार्यक्रम बनाने होंगें."


प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "यह योजना सिर्फ सड़क निर्माण से ही जुड़ी नहीं है. ग्रामीण व्यवस्था को गति देने वाली योजना है. इससे मिट्टी-गिट्टी रोजगार के अवसर बने. गतिविधियां तेज हुईं और  आर्थिक विकास हुआ."


कर्जमाफी को लेकर उठ रहे सवालों पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "जब हमने यह योजना लागू की थी तब बैंकिंग सेक्टर से जुड़े लोगों ने आलोचना की थी. हमारा यह स्पष्ट मत था कि मध्य प्रदेश में 70 फीसदी ग्रामीण आबादी है जो खेती किसानी से जुड़ी हुई है. खेती किसानी से ग्रामीण बाजार जुड़ा हुआ होता है, ग्रामीण बाजार में तभी आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी जब किसानों के पास खरीदने की क्षमता होगी. इसके लिए जरूरी था कि उनके ऊपर चढ़े कर्ज के बोझ को कम किया जाए. इसी सोच के साथ हम कर्ज माफी योजना लाए थे."


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