कन्नौज: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और जिलाध्यक्ष मुन्ना दरोगा का कहना है कि कन्नौज लोकसभा सीट से चाचा शिवपाल ने भतीजे को खुला चैलेंज किया है, लेकिन भतीजे ने उन्हें चैलेंज नहीं किया है. उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव बड़े हैं और उन्हें मन में उदारता का भाव रखना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. फिर भी कन्नौज लोक सभा सीट पर सेक्युलर मोर्चे का कोई असर पड़ने वाला नहीं है.


मुन्ना ने कहा कि कन्नौज लोकसभा सीट समाजवादियों का गढ़ रहा है हम लगातार यहां से लोकसभा सीट जीतते चले आ रहे हैं. 1984 में कांग्रेस की शीला दीक्षित ने यहां से एक बार चुनाव जीता था इसके बाद से यहां पर समाजवादियों का कब्ज़ा रहा है.


बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन किया है. समाजवादी सेक्युलर मोर्चा अब अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी अखिलेश यादव को मान रहा है. मोर्चे के संयोजक शिवपाल सिंह यादव इस की घोषणा कर चुके हैं कि वो मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अपना कैंडिडेट मैदान में नहीं उतारेंगे. लेकिन वो अखिलेश यादव को घेरने की योजना तैयार कर रहे हैं.


कन्नौज लोकसभा सीट से समाजवादी सेक्युलर मोर्चा मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट देकर उतारने की रणनीति में जुटा है. कन्नौज लोकसभा सीट का जातिगत आंकड़ा बड़ा ही दिलचस्प है. कन्नौज में सबसे अधिक ओबीसी वोटर है जो करीब 46 फीसदी हैं. इसके बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाती और मुस्लिम और जनरल वोटर हैं. अगर समाजवादी सेक्युलर मोर्चे से मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव लड़ता है तो मुस्लिम वोट कटेगा जिससे बीजेपी को सीधा फायदा होगा और सपा का नुकसान होना तय माना जा रहा है.


मुन्ना दरोगा के मुताबिक बीएसपी ने एक बार मुस्लिम कैंडिडेट अकबर अली बंसी को यहां से मैदान पर उतारा था. लेकिन अकबर अली बंसी को करारी शिकस्त मिली थी. बीजेपी भी कई अपने अच्छे नेताओं को यहां से चुनाव लड़ा कर उसका नतीजा देख चुकी है. यहां की जनता सिर्फ समाजवादियों को ही पसंद करती है. कन्नौज से मुलायम सिंह, अखिलेश यादव डिम्पल यादव और प्रदीप सिंह जैसे कद्दावर नेता जीत चुके हैं. सन 1984 में कांग्रेस की शीला दीक्षित एक बार चुनाव जीती थी और गृहमंत्री बनी थीं. लेकिन वो भी 1989 का चुनाव कन्नौज से हार गयी थीं.


समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के संस्थापक कन्नौज को भूल नहीं पा रहे हैं जबकि वो यहां के इतिहास से भलीभांति परचित हैं. सपा यहां से गठबंधन में चुनाव लड़ेगी तो उसे इसका भी सीधा फायदा पार्टी को होगा. एक-एक कार्यकर्ता दिन रात मेहनत कर पार्टी की जमीन तैयार करने में लगा हुआ है. अखिलेश यादव यहां से बड़े मार्जिन से जीतेंगे.