कानपुर: आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले संघप्रिय ने यूपीएससी एग्जाम में 92वां रैंक हासिल किया है. खास बात ये है कि आईआईटी कानपुर से उनका कैंपस प्लेसमेंट हुआ था और उन्हें सात लाख का पैकेज ऑफर किया गया था. वहीं एक अन्य कंपनी उन्हें 10 लाख का ऑफर दे रही थी. संघप्रिय ने इन दोनों ऑफर को ठुकराकर यूपीएससी की तैयारी की थी. संघप्रिय का कहना है कि इस रैंक से वे संतुष्ट नहीं है.
बर्रा थाना क्षेत्र के जरौली फेस वन में रहने वाले जय कृष्ण कानपूर देहात के झींझक सीएचसी में हेल्थ सुपरवाईजर हैं. परिवार में पत्नी माधुरी, दो बेटिया, दो बेटे संघप्रिय और अंकुर के साथ रहते हैं. संघप्रिय ने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिग से बीटेक किया और 2015 में पास आउट हुए थे. संघप्रिय का छोटा भाई अंकुर भी आईआईटी कानपुर से बीटेक कर रहा है.
संघप्रिय ने बताया कि जब मैंने आईआईटी कानपुर में एडमिशन लिया था तब मेरे मन में सिविल एग्जाम की तयारी की कोई बात नहीं थी. लेकिन जब मैं बीटेक के लास्ट सेमेस्टर के एग्जाम दे रहा था, उसी समय समाजसेवा करने का विचार मेरे मन में आया. लेकिन मेरा कैम्पस सिलेक्शन हो गया था और एक कम्पनी मुझे 7 लाख रुपये सालाना का पैकेज दे रही थी. लेकिन मेरा मन नही लगा और मैंने जॉब नहीं की. इसके बाद एक कंपनी ने 10 लाख रुपये का पैकेज ऑफर रखा वो भी मैंने ठुकरा दिया.
उन्होंने बताया कि मैंने सिविल एग्जाम की तैयारी शुरू की. मेरे इस फैसले में मेरे परिवार ने बहुत हेल्प की. मुझे पूरा विश्वास था कि मेरी रैंक अंडर 50 में होगी. इसलिए संघप्रिय अपनी इस रैंक से खुश नहीं हैं.
संघप्रिय ने बताया कि मुझसे एक बड़ा ही मजेदार प्रश्न पूछा गया कि, "फिल्म पद्मावत के साथ जो विवाद हुआ था, यदि आप डीएम होते तो कैसे निर्णय लेते?" संघप्रिय ने बताया कि मैंने इसका जवाब बड़े ही साधारण ढंग से दिया कि जब पद्मावत को सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया तो मेरा फर्ज है कि मै इस फिल्म को सभी सिनेमा हाल में सुरक्षा के साथ रिलीज कराऊं और दर्शकों और सिनेमाहाल को सुरक्षा मुहैया कराऊं. इसके साथ ही अराजक तत्वों के खिलाफ कठोर कार्यवाई करूं.