रविवार को खजांची नाथ का दूसरा जन्मदिन था अखिलेश यादव को खजांची नाथ के गांव अनंतपुर धौकल आना था. खजांची नाथ का जन्मदिन मना कर खजांची नाथ के परिवार को 2 मकानों की चाबियां उपहार के तौर पर देनी थी. सभी तैयारी हो चुकी थीं ढोल तासा बज रहा था, केक तैयार था. गांव के हर शख्स की नज़र अखिलेश यादव की राह तक रही थी. जब ग्रामीणों को पता चला कि अखिलेश यादव नहीं आयेंगे और सरदारपुर से वापस लौट गए तो खजांची और उसकी मां सर्वेसा देवी मायूस हो गईं. ग्रामीणों ने मिलकर खजांची का जन्मदिन मनाया और केक कटवाया.
खजांची नाथ को लेकर ननिहाल ओर ददिहाल में विवाद चल रहा है. अखिलेश ने खजांची को एक घर ननिहाल में और एक घर ददिहाल में बनवा कर दिया है. बावजूद इसके विवाद जारी है बीती शनिवार रात जबरन खजांची को उठा ले जाने की कोशिश की गई थी. लेकिन सर्वेसा देवी और उनके भाइयों ने विरोध किया तबसे खजांची ननिहाल में रह रहा है.
खजांची के मामा मलखान नाथ के मुताबिक खजांची नाथ का पैत्रक गांव सरदारपुर है. खजांची हमारे साथ अनंतपुरा में रहता है.
दो साल पहले दो दिसंबर को नोटबंदी के दौरान कानपुर देहात के झींझक कस्बे में बनी पंजाब नेशनल बैंक की लाइन में सर्वेसा देवी नाम की महिला का प्रसव हुआ था. जिसका नाम तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खजांची नाथ रखा था और उस बच्चे को गोद लेने का एलान किया था. खजांची नाथ को पूर्व की सपा सरकार ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर ब्रम्हास्त्र की तरह इस्तेमाल किया था.
जब अखिलेश यादव को इस बात की जानकारी हुयी कि खजांची नाथ ननिहाल में है और वो अपने पैत्रक गांव नही आया है. उन्होंने अपने नेता और कार्यकर्ताओं को जमकर फटकार लगायी. उन्होंने कहा कि हमारी खजांची से मुलाकात नहीं हो पायी इसके जिम्मेदार हमारे नेता और कार्यकर्ता हैं. इसके बाद उन्होंने खजांची के बाबा और दादी को दोनों घरों की चाबी सौंप दी.