कानपुर: बाहुबली नेता अतीक अहमद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. अतीक अहमद को कानपुर से गहरा लगाव है. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कानपुर की कैंट विधानसभा से उन्हें प्रत्याशी घोषित किया था. अतीक अहमद प्रत्याशी बनने के बाद पहली बार कानपुर में धमाकेदार एंट्री की थी. वो खुद हमर गाड़ी में सवार थे और उनके पीछे 500 वाहनों का काफिला था. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अतीक अहमद के चुनाव लड़ने पर नाराजगी जतायी थी जिसका परिणाम शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था और अतीक अहमद का टिकट कट गया था.
बाहुबली नेता अतीक अहमद प्रासपा के मुखिया शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी हैं. बरेली जिला जेल पहुंचने पर अतीक अहमद ने यह कह कर राजनीती गर्म कर दी की मैं लोकसभा चुनाव लडूंगा. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में अतीक अहमद का जाना तय माना जा रहा है. इसके साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अतीक अहमद कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. जो काम वो विधानसभा चुनाव में नहीं कर पाए थे वो लोकसभा चुनाव में करके दिखाएंगे.
अतीक अहमद ने कहा था कानपुर से प्यार हो गया
2017 के विधानसभा चुनाव में जब उनका टिकट फाइनल हुआ था और वो पहली बार कानपुर आए थे तो उन्होंने कहा था कि मैंने कभी नहीं सोचा था कानपुर वासी इतना प्यार देंगे. मुझे इस शहर से लगाव हो गया है. मै कानपुर की कैंट विधानसभा चुनाव चुनाव लड़ना चाहता हूं. लेकिन सपा की अंतर्कलह की वजह से यह काम रुक सकता है. उन्होंने कहा था कि मुलायम सिंह हमारे नेता और वो भी चाहते हैं कि अतीक अहमद चुनाव लड़े.
शहर में चस्पा हुए थे -अतीक अहमद निर्दलीय लड़ो के पोस्टर
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब बाहुबली नेता अतीक अहमद का टिकट काटा था तो उन्हें कानपुर के मुस्लिम वोटरों का विरोध भी झेलना पड़ा था. शहर के दर्जनों इलाको में मुस्लिम समाज के लोगों ने पोस्टर लगाए थे कि अतीक अहमद तुम निर्दलीय चुनाव लड़ो हम तुम्हारे साथ हैं. कानपुर का मुस्लिम वोटर चाहता था कि अतीक अहमद कानपुर से चुनाव लड़ें.
अतीक अहमद आगर कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो इसका सबसे बड़ा घाटा सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ेगा. कानपुर में लगभग 5 लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं जो सपा और कांग्रेस का वोटर माना जाता है. अतीक अहमद के चुनाव लड़ने से इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.
बता दें कि अतीक अहमद को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है. दरअसल अतीक अहमद पर आरोप है कि उसने जेल से रंगदारी और अपहरण के मामलों को अंजाम दिया. कारोबारी मोहित जायसवाल ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसके मुताबिक 26 दिसम्बर को उसका अपहरण कर देवरिया जेल में लाया गया था. यहां अतीक की बैरक में उसके बेटे उमर और गुर्गों ने उसे बुरी तरह पीटा. इसके बाद करीब 45 करोड़ रुपए की संपत्ति हथियाने के लिए जबरन स्टांप पेपर पर दस्तखत करा लिए थे.
पुलिस ने दो इस मामले में लोगों को गिरफ्तार कर अतीक के खिलाफ जानकारी जुटाई. वहीं अतीक की पत्नी ने आरोपों से इंकार किया है. जिलाधिकारी ने बताया कि छापेमारी के दौरान जेल के सीसीटीवी फुटेज मिटाये जाने की बात सामने आई थी. उसके बाद जांच के लिए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) राकेश पटेल के नेतृत्व में चार सदस्यीय समिति गठित की गयी थी.