कानपुर: कमलनाथ का विरोध करेगा सिख समुदाय, कहा- सिखों के खून से रंगे हैं उनके हाथ
समुदाय का का कहना है कि कानपुर में जन्म लेने वाले कमलनाथ के हाथ सिख समुदाय के खून से रंगे हैं. 1984 के दंगे में कानपुर से 323 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी. कई परिवारों को जिन्दा जलाया गया था. सिख विरोधी दंगो में हुयी त्रासदी को लोग भूल नहीं पाए हैं.
कानपुर: 1984 सिख दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की आंच मध्य प्रदेश तक जा पहुंची है, सवालों में सीधे-सीधे नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ है. कमलनाथ पर आरोप है कि 1984 में सिख दंगों के दौरान वो भी दंगाईयों के साथ थे, हालांकि कमलनाथ ने सफाई देते हुए आरोप से इनकार किया है. इन सबके बीच सिख समुदाय ने एलान किया है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को कानपुर नहीं आने देंगे. समुदाय का का कहना है कि कानपुर में जन्म लेने वाले कमलनाथ के हाथ सिख समुदाय के खून से रंगे हैं. 1984 के दंगे में कानपुर से 323 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी. कई परिवारों को जिन्दा जलाया गया था. सिख विरोधी दंगो में हुयी त्रासदी को लोग भूल नहीं पाए हैं.
बीजेपी अल्पसंख्यक के क्षेत्रीय अध्यक्ष अभिजीत सिंह छाबड़ा ने कहा कि पूरा कानपुर दंगे की आग में जल रहा था. कांग्रेस के नेता घरों में आग लगवाने का काम कर रहे थे. कानपुर को आज भी न्याय नहीं मिल पाया है ,आज भी सिख समुदाय न्याय की आस में है. जिस तरह से सज्जन कुमार को सजा हुयी है उसी तरह से इस दंगे में शामिल जो भी दोषी है उन्हें फांसी की सजा होनी चाहिए.
छाबड़ा ने एलान किया है कि कमलनाथ यूपी में कहीं भी आएंगे तो सिख समुदाय उनका विरोध करेगा. इसके साथ ही कमलनाथ को चेतावनी दी है कि वो कानपुर की तरफ अपना रूख कभी भी नहीं करें. उन्होंने कहा कि 1984 के दंगो में सबसे पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा तबाही कानपुर में हुयी थी. चारो तरफ सिख समुदाय के घरों को जलाया जा रहा था, जिन्दा लोगों को आग के हवाले किया जा रहा था, चीख पुकार मची हुयी थी. उन्होंने कहा कि जो लोग इस दंगे में मारे गए उनका क्या कसूर था उनको कांग्रेस नेताओं ने क्यों शिकार बनाया?
उन्होंने कहा कि इस दंगे के बाद सिख समुदाय इस कदर डरा हुआ था कि हजारों लोग कानपुर से पलायन कर गए थे. जिन्होंने भी अपने को खोया था वो भी एक-एक करके कानपुर छोड़ कर चले गए. अभी भी कुछ परिवार यहां पर रह रहे हैं. इस दंगे में कानपुर में 323 लोंगो ने अपनी जान गंवाई थी. उन्होंने बताया कि कानपुर में जो दंगे हुए थे उसमे घाटमपुर के सांसद शिवनाथ सिंह कुशवाहा का नाम प्रकाश में आया था. लेकिन लोग इतना डरे और सहमे थे कि कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था. उस वक्त के जो गवाह थे वो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
अभिजीत सिंह बताया कि अभी तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. जिसकी वजह से 1984 दंगे के आरोपी बचते रहे,लेकिन जब बीजेपी की सरकार आयी तो सज्जन कुमार को सजा हुई. हम सरकार पर दबाव बनायेंगे कि इस दंगे में जुड़े जितने भी आरोपी है उनको सजा दिलाई जाये. इसके साथ ही हम कमलनाथ को भी टारगेट करते रहेंगे उनके खिलाफ हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. बल्कि सिख समुदाय की मांग है कि कांग्रेस पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटा कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए.
अभिजीत सिंह छाबड़ा ने कहा कि समाजवादी पार्टी के दिग्गज और किसानों के नेता चौधरी हरमोहन सिंह ने दंगाईयो से मोर्चा लिया था. दरअसल जब दंगा हुआ था तो सैकड़ों परिवार चौधरी हरमोहन सिंह के गांव मेहरबान सिंह के पुरवा में छिप गए थे. चौधरी हरमोहन सिंह ने सभी सिख परिवारों को अपनी कोठी में छिपा लिया था. इसके बाद उन्होंने बंदूक लेकर पूरी रात फायरिंग की थी ताकि दंगाई उनके गांव में न घुस पाएं. सैकड़ो परिवारों की जान चौधरी हरमोहन सिंह ने बचाई थी. सिख समुदाय आज भी उनके इस कार्य की प्रशंसा करता है.