कानपुर: यशवर्धन को मिली थी '3 इडियट्स' से सीख, 98.02% नंबर लाकर किया जिले में टॉप
कानपुर: आज आए सीबीएसई के 12वीं के नतीजों में यशवर्धन रायजादा ने कानपुर अपना नाम रोशन किया है. यशवर्धन ने 12वीं में 98.02% नंबर हासिल किया है. यशवर्धन इस सफलता के पीछे की वजह कुछ खास है. उन्होंने ने जब अपनी सफलता के बारे में बताया तो उसे सुनकर टीचर भी हैरान रह गए. अपनी कामयाबी के राज को बताते हुए यशवर्धन ने कहा, ''मैं 3 इडियट्स फिल्म से प्रभावित हूं, यह फिल्म हमें यह बात सिखाती है कि आपको जो काम अच्छा लगे वही करना चाहिए, ऐसा करने से रास्ते और टारगेट आसान हो जाते हैं. इसी वजह से मेरा रुझान इंजीनियर बनने का है, और मैं एक अच्छा इंजीनियर बनना चाहता हूं.''
चकेरी थाना क्षेत्र स्थित श्यामनगर के रहने वाले यशवर्धन रायजादा के पिता कानपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं. परिवार यशवर्धन की मां रश्मि का गार्डनिंग का बिजनेस है, यशवर्धन रायजदा वीरेंद्र स्वरुप श्याम नगर में इंटर कॉलेज का छात्र हैं. शनिवार को सीबीएससी का रिजल्ट आया जिसमें उन्होंने अपने पैरेंट्स और कालेज का नाम रोशन किया है.
यशवर्धन के मुताबिक, वह अपनी सफलता का श्रय अपने पैरेंट्स और टीचरों को देते हैं. उन्होंने टेंशन फ्री होकर परीक्षा की तैयारी की थी, परीक्ष के वक्त उन्होंने सिर्फ रिविजन किया. उन्होंने कभी भी देर रात तक पढ़ाई नहीं की लेकिन वह सुबह उठकर जरूर पढ़ते थे. उनके पिता प्रोफ़ेसर हैं और वह यशवर्धन को पढ़ाई करने के लिए मोटिवेट करते थे. उनके पिता उन्हें बताते थे कि किस तरह से परीक्षा की तैयारी करनी है, और यशवर्धन उसी तरह से तैयारी किए और आज उन्हें सफलता प्राप्त हुई.
यशवर्धन ने कहा, ''मेरे मैथ और केमिस्ट्री में 100 नंबर हैं और फिजिक्स मेरा सबसे मनपसंद सब्जेक्ट है. मुझे 3 इडियट्स फिल्म से बहुत कुछ सीखने को मिला है. इस फिल्म ने यह सिखाने का काम किया है कि आप को जो फील्ड अच्छी लगे या फिर जो काम अच्छा लगे वही काम करना चाहिए. आप का रुझान जिस फील्ड में हो उसी तरफ फोकस करके करियर बनाने का फैसला करें. ऐसा करने से आप का रास्ता और भी आसान हो जायेगा.''
कानपुर रे टॉपर यशवर्धन ने कहा, ''मैं कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करना चाहता हूं क्योंकि मुझे यह फील्ड पसंद है. मेरे पापा भी इसमें मेरा पूरा साथ दे रहे हैं.''
यशवर्धन के पिता संजीव के मुताबिक उनके बेटे का रुझान जिस सेक्टर में होता वे उसे वही काम करने की आजादी देते हैं. वह अपने बेटे के किसी भी काम में कभी दखलंदाजी नहीं करते हैं.