उन्होंने सीएम योगी को संबोधित करते हुए लिखा है,"पिछले सप्ताह मुझे सिरमिया जाने का अवसर प्रप्त हुआ जहां मुरारी बापू की कथा चल रही थी और साहित्य सम्मेलन भी हो रहा था जिसका मैंने उद्घाटन किया. यह मिथिला की भूमि थी और वहां मुझे एक विचार आया जिसका मैंने अपने भाषण में उल्लेख किया और उसी को इस पत्र द्वारा आप तक पहुंचा रहा हूं."
कर्ण सिंह ने आगे लिखा है,"राजा जनक की भूमि मिथिला सीता माता की भूमि मानी जाती है. यही सीता जी का प्राकट्य हुआ और यहीं उनका श्रीराम के साथ विवाह संपन्न हुआ. नियति देखें, विवाह के बाद अयोध्या बहू बन कर गईं लेकिन कुछ दिनों में श्रीराम के साथ उनको 14 साल का बनवास झेलना पड़ा. इसी दौरान 14वें वर्ष में उनका अपहरण हुआ और श्रीलंका में बंदी बन कर रहीं. युद्ध हुआ और अग्नि परीक्षा के बाद महारानी बन कर अयोध्या वापस आईं. तत्रश्चात उनको गर्भवती होते हुए भी फिर से बनवास झेलना पड़ा."
इस पत्र में आगे कहा है,"ऐसी दुखद परिस्थितियों को स्मरण करते हुए मेरे दिल में एक सुझाव आया यदि अयोध्या में श्रीराम की भव्य मूर्ति बनाने का निर्णय ले ही लिया है तो मेरा अनुरोध है कि उसकी ऊंचाई आधा करके राम और सीता दोनों की युगल मूर्तियां बनाई जाएं. कम से कम सहस्त्र वर्षों के बाद सीता जी को अयोध्या में अपना उचित स्थान तो मिले. मुझे विश्वास है कि आप मेरे सुझाव को स्वीकार करेंगे."
अब देखना ये होगा कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ इस सुझाव पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं.