बेंगलुरु: कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन है. लेकिन इस पूरे लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा असर इस देश के मंदिरों पर भी पड़ा है. लॉकडाउन 4.0 में सरकार की ओर से कई रियायतें दी गई हैं. हालांकि, मंदिर, मस्जिद को लेकर पाबंदियां जारी हैं. अब कर्नाटक सरकार ऐसी पहली सरकार बन गई है जिसने मंदिर खोलने के आदेश दिए हैं. वो भी तब जब राज्य में 2000 से ऊपर मामले पहुंच चुके हैं.


मंदिरों को खोलने की मांग के साथ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने राज्य के मदुरै और तिरूचि में प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि सरकार अब मंदिरों को खोलने की इजाजत दे.


कर्नाटक के मंत्री के. श्रीनिवास पुजारी ने मंगलवार को कहा कि राज्य में मंदिर एक जून से जनता के लिए खोल दिये जाएंगे जो कोविड-19 के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के चलते दो महीने से अधिक समय से श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं.


हिंदू धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ दान (मुजरई) मामलों के मंत्री पुजारी ने कहा, ‘‘मुजरई विभाग के संबंध में मुख्यमंत्री के साथ चर्चा हुई थी, उस दौरान मंदिरों को एक जून से खोलने का निर्णय किया गया था.’’


कर्नाटक सरकार ने अब मंदिरों को लेकर अहम फैसला लिया है. राज्य सरकार ने 1 जून से मंदिरों को खोलने का निर्णय लिया है. हालांकि, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा. मंदिरों के पुजारी और भक्त दोनों ही लगातार मंदिर खोलने की मांग कर रहे थे. कर्नाटक में करीब 34,500 मंदिर 1 जून से भक्तों के लिए खुल जाएंगे.


लॉकडाउन का असर देश के सबसे अमीर मंदिर पर भी पड़ा. आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में कार्यरत 1300 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया गया. वहीं मंदिर की सम्पत्ति को नीलाम करने का फैसला भी आंध्र की सरकार ने लिया था लेकिन चौतरफा घिरने के बाद नीलामी का फैसला वापस ले लिया गया है.


उधर तमिलनाडु में 17000 से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं.



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