कासगंज: कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुए दंगे में मारे गए चंदन गुप्ता की हत्या के आरोपियों वसीम, नसीम और सलीम पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगा दिया गया है. बता दें कि चंदन गुप्ता की हत्या के बाद कासगंज में हिंसा भड़क उठी थी. तीनों आरोपी इस समय कासगंज जेल में बंद हैं.
क्या है पूरा मामला?
कासगंज में 26 जनवरी को विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली थी. एक समुदाय विशेष के लोगों ने बाइक पर निकली तिरंगा यात्रा पर पथराव किया था जिसके बाद हिंसा भड़क गई. हिंसा में चंदन नाम के युवक की मौत हो गई थी.
कासगंज का इतिहास
अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाला जिला कासगंज यूपी का 71वां जिला है. इस जिले का गठन इटावा जिले से 15 अप्रैल 2008 को तीन तहसीलों - कासगंज, पटियाली और साहवार को अलग करके किया गया था. जिले के गठन के दौरान कासगंज का नाम दिग्गज राजनीतिज्ञ श्री कांशी राम के नाम पर रखने का निर्णय तत्तकालीन यूपी की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी केी अध्यक्ष मायावती ने लिया था.
मायावती का यह निर्णय वहां के वकीलों को नागवार गुजरा, इसके विरोध में वकील धरने पर बैठ गए. वकीलों की मांग थी कि चूंकि, रामचरितमानस के रचयिता और महान कवि तुलसीदास का जन्म इस जिले के सोरोन में हुआ था, इसलिए इस जिले का नाम उनके नाम के अनुरूप होना चाहिए. साल 2012 में इस जिले का नाम वापस से बदल कर कासगंज कर दिया गया. अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाले इस जिले के निकटवर्ती जिलों में एटा, अलीगढ़ और हाथरस जिले पड़ते हैं.