यूपी: वाराणसी में सनातनी आस्था को भव्य रूप देगा काशी विश्वनाथ धाम, जलासेन घाट से होगा महादेव का शिखर दर्शन
विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है. बाबा के दरबार को भव्य रूप देने के लिए मकराना के पत्थर लगाए जा रहे हैं. मंदिर चौक का भी निर्माण किया जा रहा है. वहीं, जलासेन घाट से श्रद्धालु महादेव के शिखर दर्शन भी कर सकेंगे.
वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय: स्वर्ण सज्जित शिखर घंटे घड़ियाल की आवाज, हर-हर महादेव का जयकारा और मुक्ति धाम की कल्पना मात्र से काशी का रूप सामने आ जाता है. सनातनी आस्था का केंद्र बाबा विश्वनाथ के दरबार को अब और भी भव्य रूप मिल रहा है.
जारी है विश्वनाथ धाम का कार्य
महादेव की नगरी में भोलेनाथ के दरबार का विस्तार विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के रूप में जारी है. प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री बाबा के मंदिर को विस्तार देने के लिए संकल्पबद्ध हैं और परिसर में बदलाव के साथ आनंद कानन के नाम से विख्यात काशी का स्वरूप दर्शाने का कार्य जारी है. आने वाले दिनों में मंदिर में तमाम तरह की सुविधाएं मिलने वाली हैं. आने वाले दिनों में बाबा का दरबार एक नए और भव्य रूप में दिखने वाला है.
बाबा विश्वनाथ के दरबार में मकराना के पत्थर
काशी नगरी भगवान शंकर के त्रिशूल पर विराजमान है. कोई भी भक्त दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो, बाबा के दरबार में हाजिरी लगाकर हर-हर महादेव का जयकारा लगाने की इक्षा जरूर रखता है. त्रिलोचन की महिमा विश्व में विख्यात है और अब मंदिर परिसर का विस्तार पुरातनता को संरक्षित करते हुए किया जा रहा है. मंदिर में मकराना के पत्थर लगाए जा रहे हैं. ये वो पत्थर हैं, जिनका प्रयोग ताज महल के निर्माण में हुआ है. इसके साथ ही राजस्थान के कारीगरों से मंदिर के निर्माण का कार्य कराए जाने की योजना है. मंदिर के विस्तारीकरण के दौरान नागर शैली के मंदिर मिले हैं, जो 308 मकान क्रय करने के बाद मिले हैं.
5 लाख स्क्वायर फीट में होगा मंदिर परिसर
जहां कभी संकरी गालियां थीं, वहां अब भव्य निर्माण हो रहा है. काशी के पुराधिपति के धाम, जो कभी 2100 स्क्वायर फीट में था. अब 5 लाख स्क्वायर फीट में बदला जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर तक जाने का मार्ग 75 फीट चौड़ा होगा. यहां गर्भगृह के बाहर मंदिर चौक बनाया जा रहा है. इस मंदिर चौक में एक हजार से पांच हजार तक श्रद्धालु बैठकर ध्यान कर सकेंगे. इसके बाद बाएं ओर वाराणसी गैलरी बनेगी और गैलरी के पीछे मुमुक्षु भवन बनेगा. लोगों के ठहराव की व्यवस्था के लिए गेस्ट हाउस बन रहा है. वाराणसी म्यूजियम और टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, मंदिर चौक के दाहिने ओर स्पिरिचुअल बुक सेंटर और फूड कोर्ट बन रहा है. महादेव के धाम से जलासेन घाट की ओर बढ़ने पर एक ऐसा हाउस तैयार हो रहा है, जिसके निचले हिस्से में शवदाह की लकड़ियां रखी जाएगीं और ऊपर विदेशियों के ठहरने का इंतजाम होगा. जलासेन घाट पर उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ियां भी लगाई जानी है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें, तो परिसर में मंदिरों की पुरातनता को संरक्षित करते हुए इसका विकास किया जा रहा है.
मंदिर विस्तार का नक्शा दे रहा मंदिर को भव्य रूप
अगर नक्शे को देखें, तो बाबा के मंदिर के गर्भगृह की चारों दिशाओं में चार द्वार होंगे. इसके साथ ही, विशेष परिस्थितियों के लिए पांचवा द्वार भी प्रस्ताव में हैं. मंदिर से घाट की ओर बढ़ेंगे, तो मंदिर चौक होगा. मंदिर के चौक और गर्भगृह के बीच में भी एक द्वार होगा. चौक के दाहिने और बाएं दोनों तरफ विस्तार किया जा रहा है. इसके साथ ही, घाट के किनारे से बाबा का शिखर साफ तौर पर नजर आएगा.
सनातनी आस्था का केंद्र है बाबा विश्वनाथ का धाम
सनातनी परंपरा से जुड़ा हुआ कोई भी व्यक्ति हो, काशी उसके प्रमुख केंद्र पर रहता है. काशी में भोले का दरबार उसमें प्रमुखता रखता है और इसी के चलते बाबा विश्वनाथ के मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. भक्त यहां आते तो हैं, लेकिन भक्तों के मन में कहीं न कहीं बाबा के मंदिर में जाने की संकरी व्यवस्था भक्तों को दुःखी करती थी, लेकिन अब जिस तरह से मंदिर को नया रूप दिया जा रहा, वो आस्थावानों को एक नया अनुभव देने में मददगार साबित होगा. मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी की मानें, तो इस विस्तार में सरकारी योजना के तहत उनका भी आवास आया, लेकिन पूर्व महंत भी बदलाव के पक्ष में दिखे.
विश्वनाथ मंदिर के इतिहास पर एक नजर
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अहम स्थान रखने वाले बाबा विश्वनाथ के दरबार का इतिहास सैकड़ो वर्षों का है. कहते हैं कि काशी सनातन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है और ऐसे में जब-जब मुस्लिम शासक आए, उन्होंने काशी को और त्रिपुरारी के दरबार को टारगेट किया. 1194 में मोहम्मद गोरी ने काशी पर आक्रमण कर यहां के मंदिरों को नुकसान पहुंचाया. उस समय काशी विश्वनाथ मंदिर बच गया था. 1445 में महमूद सरकी ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा. उसके बाद 8 अप्रैल, 1669 को मुगल सम्राट औरंगजेब ने आदेश दिया कि काशी विश्वनाथ तोड़ दें. बाद में 1780 में अहिल्याबाई होलकर ने बाबा के वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया और उसे भव्य स्वरूप दिया. 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण से सज्जित कराया. अब प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री के प्रयास के बाद एक बार फिर से मंदिर भव्य रूप लेने वाला है और आने वाले दिनों में मंदिर का अलग रूप भक्तों के सामने होगा.
अध्यात्म के पुरातन भाव को दर्शाएगा बाबा का मंदिर
काशी विश्वनाथ धाम का विस्तार जारी है और महादेव के धाम का भव्य स्वरूप न सिर्फ काशी आने वाले भक्तों को देश के अन्य मंदिरों से अलग अनुभव कराएगा. बल्कि पुरातन अध्यात्म के पुरातन स्वरूप के भाव को दर्शाएगा.
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