कश्मीर: कहते हैं कि मासूम बच्चों का जनाज़ा सबसे भारी होता है और कुछ यही सितम कल दोपहर दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा में हुए आतंकी हमले में कुलगाम के यारीपोरा के एक परिवार पर गुज़रा. आतंकी हमला तो सीआरपीएफ जवानों पर हुआ. एक जवान शहीद हुआ, लेकिन गोलीबारी में एक मासूम की भी जान चली गई.
मरने वाला था कुलगाम के यारीपोरा के मंचोवा गांव का पांच साल का मासूम निहान यासीन. निहान पांच साल पहले अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी महात्मा गांधी के जन्म दिवस यानी 2 अक्टूबर के दिन इस दुनिया में आया और ठीक उनकी तरह आतंक की गोली का शिकार बन कर इस दुनिया से चला गया.
निहान जाने से पहले अपने पीछे छोड़ गया बहुत सारी यादें और रोता हुआ परिवार. लेकिन इससे भी ज्यादा दुखी हैं निहान के फूफा निसार अहमद, जिनके साथ गाड़ी में घूमने की जिद निहान की मौत की वजह बनी.
निसार अहमद सुबह कुलगाम से अनंतनाग ऑफिस के काम से निकले थे और पांच साल का मासूम निहान भी उनके साथ गाड़ी में निकल पड़ा था. फ्रंट सीट पर वह अपने फूफा के साथ था, जो गाड़ी चला रहे थे. तभी दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर उनकी गाड़ी अनंतनाग के बादशाही बाग़ के पास पहुंची तो अचानक गोलियों की गनगरज से पूरा इलाका सहम उठा.
जब तक निसार कुछ समझ पाते, उनकी आंखों के सामने निहान के मासूम जिस्म को गोलियों ने छलनी कर दिया था. निसार ने तुरंत ही गाड़ी अस्पताल की तरफ दौड़ा दी, लेकिन अस्पताल पहुंचने के दस मिनट के अंदर ही निहान ने दम तोड़ दिया.
निहान के परिवार से कोई और बात करने की हालत में नहीं है. पिता की आंखें नम हैं, तो मां पूरी तरह खामोश हो चुकी हैं. मासूम की ऐसे मौत से ना सिर्फ घर-परिवार सदमें में हैं, बल्कि पूरा इलाका ही मातम में डूबा है. यहां तक कि कोरोना के डर और लॉकडाउन के निर्देशों की परवाह किए बिना लोग ताजियत के लिए मासूम के घर पहुंच रहे हैं.
ताजियत के लिए आने वालो में यासीन के दोस्त और निहान के पहले स्कूल के प्रिंसिपल नज़ीर अहमद भी थे. लॉकडाउन शुरू होने से कुछ दिन पहले निहान के पिता ने नज़ीर के स्कूल में उसका दाख़िला करवाया था, ताकि किसी बड़े स्कूल में दाखिले के लिए उसको तैयार कर सकें.
नज़ीर आज भी उन चंद दिनों को याद करके बोलते हैं कि किस तरह निहान ने पहले दिन ही स्कूल से लौटने पर घर में शिकायत कर दी थी कि पिता के दोस्त स्कूल के प्रिसिंपल उनसे मिलने क्लास में नहीं आएं, जिसकी भरपाई करने के लिए अगले दिन खुद नजीर, निहान से मिले और उनको बोला कि वहीं उनके पिता के मित्र हैं, लेकिन आज वही मासूम ज़मीन के नीचे दफ़न है.
नज़ीर का कहना है कि नन्हा निहान यासिन बहुत बुद्धिमान और सक्षम बच्चा था और वह पढ़ाई करना चाहता था. शायद ही कोई माता-पिता इस आघात को सहन कर सकते हैं, लेकिन जरूरत इस तरह के खून-खराबे से बाहर निकलने की है, जहां बच्चे मर जाते हैं और फूल खिलने से पहले मुरझा जाते हैं.
जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार इस हत्या के पीछे इस्लामिक स्टेट ऑफ़ जम्मू एंड कश्मीर ( ISJK) के आतंकी जाहिद दास का हाथ है और मौके पर मौजूद लोगों ने उसकी पहचान की है. कश्मीर के आईजी विजय कुमार के अनुसार जाहिद ने कल मोटरसाइकिल पर सवार होकर एक पिस्तौल से ताबड़तोड़ फायरिंग करके इस घटना को अंजाम दिया और अब उसके खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. बहुत जल्द ही उसको अंजाम तक पहुंचाया जाएगा.
मुमकिन है कि बहुत जल्द ही सुरक्षा बल जाहिद को मार कर इस हत्या का बदला ले लें, लेकिन सच यह भी है कि लोग दशकों से जारी इस खून खराबे से थक चुके हैं और इसका अंत चाहते हैं. इसके पहले की किसी और परिवार को उसके मासूम निहान को इस तरह मिट्टी के नीचे दफ़न करना पड़े.
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