मेरठ, दिल्ली: हरिद्वार से चला किसानों का मोर्चा दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गया है जिनको रोकने के लिए भारी इंतजाम किए गए हैं. दो अक्तूबर को किसान राजघाट से संसद तक पैदल मार्च की योजना के साथ यहां आए हैं. किसानों की बहुत सी मांगे हैं जिनकी तरफ वो सरकार का ध्यान खींचना चाहते हैं.


किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केन्द्र सरकार की किसानों से वादाखिलाफी के विरोध में हरिद्वार से दिल्ली तक किसान क्रांति पद यात्रा के जरिये 2 अक्टूबर को दिल्ली में इंकलाब होगा. किसानों को रोका गया तो यह देश के लिए कलंक बनेगा.

इससे पहले किसान क्रांति पद-यात्रा के छठे दिन मेरठ के सिवाया टोल पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि साढ़े 4 साल से किसान सरकार को ढूंढ रहे है, इतने दिनों हमें सरकार नही मिली. सुना है देश की राजधानी दिल्ली में सरकार रहती है...हम सरकार को तलाश करने निकले हैं. हम देखना चाहते है कि शांति के पुजारी की जयंती पर उसके अनुयायी किसानों को सरकार दिल्ली में शांति से घुसने देगी या क्रांति से.



2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 6 राज्यों के 50 हजार से ज्यादा किसान अपना दुखड़ा लेकर केन्द्र सरकार से 2 अक्टूबर के दिन दिल्ली में मुखातिब होगें. किसानों का रोष बीजेपी के उस घोषणापत्र में किये गये वायदे को लेकर है जो 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने देश को दिया था.

घोषणापत्र में स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का वायदा किया गया था. राकेश टिकैत कहते है कि एक्ट में 14 दिन के अंदर गन्ना भुगतान करने का प्रावधान है. 8-8 महीने तक भुगतान लटका है यह सरकार एक तरह की गुन्डागर्दी है. इसी का नतीजा है कि अब किसान अपना खाना-पीना साथ लेकर धीमी चाल से पदयात्रा कर रहा है.

केन्द्र से किसान की मांगों के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो. देश के किसानों का कर्जा माफ होना चाहिए और 10 साल पुराने ट्रैक्टर बंद करने का जो सरकारी फरमान है, वह वापस हो. यह वैचारिक क्रांति पद-यात्रा है. अब देश के किसान को कोई बहका नहीं सकता. चुनाव से पहले बहुत कुछ होना बाकी है. वायदा करके वोट लेना और उन्हें पूरा न करना, धोखाधड़ी है.