लखनऊ: यूपी में चुनाव नतीजे से पहले वैसे तो हर पार्टी बहुमत का दावा कर रही हैं, लेकिन इसी बीच इस बात का भी डर सबको सता रहा है कि कहीं मामला फंस न जाए, कहीं ऐसा न हो कि किसी पार्टी को बहुमत न मिले. यही वजह है कि इस आशंका को लेकर सभी पार्टियां एक दूसरे पर हमला बोल रही हैं.
त्रिशंकु विधानसभा की लटकी तलवार?
यूपी के चुनाव नतीजे से पहले नेताओं के इस बयान में त्रिशंकु शब्द गुंज रहा है. त्रिशंकु का मतलब ये होता है कि जब किसी दल को बहुमत न मिले तो एक दल दूसरे के साथ मिलकर सरकार बनाएं. मतलब सत्ता की चाबी किसी एक के पास न रहें. यूपी में चुनाव नतीजे से पहले अटकलों के बाजार को उस वक्त हवा मिली जब पीएम मोदी ने विरोधियों पर हाथ मिलाने की साजिश का आरोप लगाया, इसके बाद हर पार्टी कूद पड़ी.
1993 में मायावती-मुलायम की सरकार बनी थी
मायावती को समर्थन देने से पहले बीजेपी ने साल 1989 में मुलायम सिंह की सरकार भी बनवाई थी, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के मुद्दे पर उनसे समर्थन वापस ले लिया था. 1993 में मुलायम और मायावती ने मिलकर जीत हासिल की थी. मायावती पहले 6 महीने के लिए सीएम बनी थी, लेकिन 6 महीने बाद जब उन्होंने मुलायम को सत्ता देने से मना कर दिया तो सरकार गिर गई.
हर पार्टी को परेशान कर रहा है बहुमत का जादुई आंकड़ा
हालांकि पिछले दो बार से यूपी में स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी है, लेकिन जिस तरह से हर पार्टी त्रिशंकु विधानसभा को लेकर एक दूसरे पर हमला बोल रही है, उससे सवाल ये है कि क्या बहुमत का जादुई आंकड़ा इस बार हर पार्टी को परेशान कर रहा है. अटकलों के बीच दावा हर कोई बहुमत का जरूर कर रहा है.
जब त्रिशंकु विधानसभा की चर्चा हो रही है तो ये भी मान कर चलिए राजनीति में कोई किसी के लिए अछूत नहीं है. सवाल है-
- क्या बीजेपी को रोकने के लिए मायावती-अखिलेश साथ आएंगे?
- क्या मायावती को रोकने के लिए अखिलेश बीजेपी साथ होंगे?
- क्या अखिलेश को रोकने के लिए बीजेपी-मायावती साथ होंगे?