मुजफ्फरपुर: लम्बे अरसे से राजनीति में सक्रिय रहे समीर कुमार पहली बार 2002 में चर्चा में तब आए थे जब वो मुज़फ़्फ़रपुर नगर निगम के मेयर बने थे. तब उन्होंने तत्कालीन विधायक और बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला के छोटे भाई मानमर्दन शुक्ला को मेयर की कुर्सी की जंग में शिकस्त दी थी. समीर कुमार ने अपनी राजनीति की शुरुआत यूथ कांग्रेस से की थी लेकिन बाद में वे बीजेपी से जुड़ गए, 1998 से लेकर 2001 तक वो BJYM के ज़िलाध्यक्ष रहे.
समीर कुमार ने मेयर रहने के दौरान ही 2005 में LJP के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा, 2009 में BSP के टिकट पर लोकसभा चुनाव में हाथ आज़माया लेकिन दोनों ही बार उन्हें असफलता मिली. 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने दुबारा से बीजेपी का दामन थामा लेकिन पिछले कुछ दिनों से बीजेपी से दूरी बनाए हुए थे और जानकारी के मुताबिक़ वो जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने वाले थे.
बिहारः मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार की गोली मारकर हत्या, ड्राइवर को भी मारा
समीर कुमार मूल रूप से वैशाली जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के हिलालपुर गाँव के रहने वाले थे, सालों पहले समीर कुमार का परिवार वैशाली से मुज़फ़्फ़रपुर शिफ़्ट हो चुका था. मुज़फ़्फ़रपुर के मिठनपुरा थाना क्षेत्र के नंद विहार कालोनी में घर बनाकर समीर कुमार अपने परिवार के साथ रहते थे. इसी साल की शुरुआत में उनके पिता का देहांत हुआ था जिसके बाद घर में उनकी माँ, पत्नी और दो बेटे रह गए थे, दोनों ही बेटे बाहर नौकरी करते हैं. समीर कुमार राजनीति के साथ ही समाजसेवा के कामों से भी जुड़े हुए थे, प्रोपर्टी डीलिंग का भी काम करते थे.
मुज़फ़्फ़रपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार और उनके ड्राइवर रोहित की आधुनिक हथियारों से सरेराह गोली मारकर हत्या की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है. लेकिन सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ इस हत्याकांड के पीछे प्रोपर्टी डीलिंग का विवाद हो सकता है.
समीर कुमार राजनीति के साथ ही प्रोपर्टी डीलिंग का भी काम करते थे और हालिया दिनों में समीर कुमार ने ज़मीन के कई बड़े सौदे किए थे जिसको लेकर भू- माफ़ियाओं में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी. सबसे ज़्यादा चर्चा पटियासा में सहारा की करोड़ों की ज़मीन की सौदेबाज़ी की है. जिस वक़्त ये घटना हुई उस दौरान भी समीर कुमार की गाड़ी में ज़मीन के काग़ज़ात मौजूद थे.
जिस तरह इस घटना को अंजाम दिया गया है उससे इतना तो स्पष्ट है कि हत्या से पहले अपराधियों ने समीर कुमार की अच्छे से रेकी की थी. अपराधियों को पता था कि समीर कुमार घर से आने-जाने के लिए शहर की मुख्य सड़क की बजाय दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.
वैसे तो मुज़फ़्फ़रपुर शहर में हर जगह चहल-पहल रहती है लेकिन अपराधियों ने जिस जगह घटना को अंजाम दिया वहाँ बाकी शहर की तुलना में शाम के वक़्त भीड़ कम होती है. पुलिस और CCTV फ़ुटेज के मुताबिक़ हमला बाइक सवार दो अपराधियों ने किया है लेकिन जिस तरह से अपराधी पहले से घात लगाकर बैठे थे उससे स्पष्ट है कि उनके कुछ साथी घटनास्थल से कुछ दूरी पर समीर कुमार की रेकी कर रहे थे.
इस सनसनीख़ेज़ हत्याकांड का CCTV फ़ुटेज सामने आ चुका है, फ़ुटेज में साफ़ दिख रहा है कि बाइक सवार अपराधी पहले से ही घात लगाकर बैठे थे और जैसे ही समीर कुमार की गाड़ी वहाँ पहुँची उन्होंने अपनी बाइक कार के सामने लगा दी और पीछे बैठे शख़्स ने बाइक से उतरकर गाड़ी पर अंधाधुंध फ़ायरिंग कर दी.
हत्यारों ने समीर कुमार की किस तरह से रेकी की थी उसका अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि रविवार शाम 6:59:35 बजे अपराधी घटनास्थल पहुंचते हैं और ठीक 50 सेकेंड बाद यानी कि 7:00:25 पर समीर कुमार अपनी कार से वहां पहुंचते हैं. फ़ायरिंग के बाद अपराधी ने ड्राइवर के बग़ल वाली सीट पर बैठे समीर कुमार की मौत की तस्दीक़ भी की और फिर बाइक पर बैठकर दोनों अपराधी वहां से फ़रार हो गया.