मुंबई: अगर आप मछली खाने के शौकीन है तो यह खबर आपके लिए है. महाराष्ट्र सरकार राज्य में 30 टन मछलियों को नष्ट कर रही है और इस अफ्रीकन मांगुर नाम की विशेष प्रजाति की मछली को खत्म करने के लिए 10 दिन का लक्ष्य भी निर्धारित किया है. मांगुर प्रजाति की मछलियों के पालन और खरीद पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने रोक लगा रखी है.


मांगुर प्रजाति की मछलियों पर केंद्र सरकार ने साल 1998 में रोक लगाई थी. इन मछलियों को अफ्रीकन मांगुर नाम से भी जाना जाता है. दरअसल मेडिकल स्टडी से यह जानकारी सामने आई थी कि मांगुर मछलियों को खाने से कैंसर हो सकता है. मांगुर मछलियों के सेवन से कैंसर, डायबिटीज के अलावा अलग अलग बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए राज्य सरकार ने इसके पालन, खरीद और बिक्री पर रोक लगाई है.


मछलियों की बिक्री ना हो और लोग भी इसे ना खरीदें इसलिए राज्य सरकार ने मुहिम भी शुरू की है. अफ्रीकन मांगुर मछली पर सरकार द्वारा यह प्रतिबंध करीब 22 साल पहले लगाया गया है पर पिछले कई दिनों से मुंबई के दादर मछली मार्केट और छोटे मार्केट में यह मछली बिक रही थी. इसकी जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया. अगले दस दिन में अफ्रीकन मांगुर मछली को नष्ट करने का लक्ष्य सरकार ने निर्धारित किया है. अब तक राज्य सरकार अलग-अलग शहरों से 30 टन मछलियों को जब्त कर उन्हें मारकर दफ्न कर रही है. मुंबई से 15 टन, इंद्रापुर से आठ टन, भंडारा से सात टन अफ्रीकन मांगुर मछली पकड़कर नष्ट की गईं हैं.


मांगुर मछली मीठे पानी की मछली है. तालाब, कृत्रिम तालाब में मांगुर मछली पालन होता है. यह मांसाहारी किस्म की हिंसक मछली है. मांगुर मछली दूसरी प्रजाति की मछलियों के अलावा दूसरे समुद्री जीवों को भी खाती है. जिससे इको सिस्टम भी बिगड़ता है. इस प्रजाति की मछली पानी में ऑक्सीजन की खपत भी ज्यादा करती है. ज्यादा पैसा कमाने के उद्देश्य से ग्रामीण इलाकों में लोग मांगुर मछली का पालन करते हैंऔर शहरों में बेचते हैं. यह मछली चार महीने में तीन किलो के वजन तक की हो जाती है. मांगुर प्रजाति की मछली की संख्या भी बहुत तेज़ी से बढ़ती है. कई मछलियों की तुलना में यह काफी सस्ती होती है.


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