प्रयागराज: अगले वर्ष जनवरी में कुंभ मेले के रूप में होने जा रहे देश दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में किन्नर अखाड़ा एक अनूठी पहल करने जा रहा है. अखाड़ा अपने परिसर में किन्नर आर्ट विलेज स्थापित करने जा रहा है जहां लोग किन्नरों की दुनिया के हर पहलू से वाकिफ हो सकेंगे.


किन्नर आर्ट विलेज के क्यूरेटर पुनीत रेड्डी ने कहा, “किन्नर कला के क्षेत्र में अपनी रुचि को दुनिया के सामने लाने के इरादे से किन्नर आर्ट विलेज का आयोजन करने जा रहे हैं. इसमें राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय किन्नर कलाकार हिस्सा लेंगे. इनमें फोटोग्राफर, पेंटर, वास्तुकला से जुड़े किन्नर, हस्तशिल्प कारीगर आदि शामिल हैं.”


उन्होंने बताया कि यह आर्ट विलेज अपने आपमें किन्नरों की दुनिया का एक झरोखा होगा और इसके माध्यम से दुनिया को पता चलेगा कि कला के क्षेत्र में किन्नर क्या योगदान दे रहे हैं. हमारी समय सीमा दिसंबर तक है. आर्ट विलेज में हिस्सा लेने के लिए विभिन्न कंपनियों ने रूचि दिखाई है. फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के विभिन्न साधनों के जरिए इसका प्रचार हो रहा है.


रेड्डी ने बताया कि किन्नर आर्ट विलेज में चित्र प्रदर्शनी, कविता, कला प्रदर्शनी, दृश्य कला, फिल्में, इतिहास, फोटोग्राफी, साहित्य, स्थापत्य कला, नृत्य एवं संगीत आदि का आयोजन किया जाएगा. इसमें आध्यात्मिक ज्ञान और कला के क्षेत्र का भी ज्ञान मिलेगा. इतिहास में रामायण, महाभारत आदि में किन्नरों के महत्व के बारे में भी लोग जान सकेंगे.


किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी महाराज ने बताया, “किन्नर अखाड़ा मेले में किन्नर महापुराण का भी लोकार्पण होगा. आज लोग हमारे बारे में कटाक्ष करते हैं क्योंकि लोगों को यह नहीं पता कि सनातन धर्म में किन्नरों का क्या वजूद था और इनका कितना महत्व था.”


त्रिपाठी ने कहा, “किन्नर की उत्पत्ति कैसे हुई, किन्नर कब से हैं, ऐसी कितनी ही बातें हैं जो मुख्यधारा के समाज को नहीं पता. उन्हें इस बारे में अवगत कराना हमारी ही जिम्मेदारी है. बहुत सारे साहित्यकार और धर्म के ज्ञाताओं के साथ हम यह कर रहे हैं.”


उन्होंने बताया, “हमने छह जनवरी को देवत्व यात्रा (पेशवाई) निकालने की योजना बनाई है. चूंकि किन्नर अखाड़े का, प्रयाग का यह पहला कुंभ है, इसलिए देवत्व यात्रा कहीं अधिक भव्य होगी. इसके अलावा, यह किन्नर अखाड़े का दूसरा कुंभ है जिसमें देवत्व यात्रा निकाली जाएगी. इससे पहले 2016 के उज्जैन कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े ने अपनी पहली देवत्व यात्रा निकाली थी.”