प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में मकर संक्रांति पर हुए पहले शाही स्नान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कुंभ मेला प्रशासन ने नियमों का पालन नहीं करने पर दो अखाड़ों को नोटिस जारी कर उन्हें तीन दिन में जवाब देने को कहा है. प्रशासन की इस नोटिस से अखाड़ों में हड़कंप मच गया है. साधू -संतों ने इस नोटिस पर नाराज़गी जताते हुए प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं.


प्रयागराज के कुंभ मेले का पहला शाही स्नान पंद्रह जनवरी को बिना किसी हंगामे के शांतिपूर्वक बीत गया, लेकिन इस शाही स्नान को लेकर दिगंबर अणी और आवाहन अखाड़े को जारी की गई नोटिस ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. दरअसल अखाड़ों के साथ हुई बैठक में मेला प्रशासन ने शाही स्नान के जुलूस में बड़े वाहन शामिल नहीं करने और सीमित संख्या में ही कार व ट्रैक्टर जैसे छोटे वाहन शामिल करने की हिदायत दी थी, लेकिन आरोप है कि दो अखाड़ों ने तय किये गए इस नियम का पालन नहीं किया.


आरोप है कि दिगंबर अखाड़े ने शाही स्नान के अपने जुलूस में बसों व दूसरे बड़े वाहनों का इस्तेमाल किया, जिससे न सिर्फ अव्यवस्था पैदा हुई, बल्कि किसी अनहोनी का खतरा भी मंडराता रहा. इसी तरह आवाहन अखाड़े ने भी निर्धारित संख्या से ज़्यादा छोटे वाहन शामिल किये और जुलूस से पहले दूसरे अखाड़े के लिए रिजर्व की गई ज़मीन पर कब्ज़ा कर उसे खुद इस्तेमाल भी किया.


इसी पर दिगंबर और आवाहन अखाड़े को नोटिस जारी की गई है और उनसे तीन दिन में जवाब देने को कहा गया है. इस बारे में कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद का कहना है कि साधू संत ही मेले की शान हैं, इसलिए उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन नोटिस इसलिए जारी किया गया है ताकि आगे के शाही स्नानों में ऐसा ना हो.


कुंभ मेला प्रशासन द्वारा जारी की गई इस नोटिस पर साधू संतों ने नाराज़गी जताते हुए कई सवाल खड़े किये हैं. उनका कहना है कि अखाड़ों के महामंडलेश्वर व दूसरे बड़े संत चार किलोमीटर का लम्बा सफर पैदल नहीं तय कर सकते हैं, इसलिए कई बार वाहनों की संख्या बढ़ जाती है. संत महात्मा खुद ही अनुशासित होते हैं, इसलिए उन्हें नोटिस जारी करना कतई उचित नहीं है. अखाड़ों से जुड़े साधू संतों ने प्रशासन से यह नोटिस फ़ौरन वापस लिए जाने की मांग की है.