प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में राम मंदिर समेत कई दूसरे मुद्दों पर विश्व हिन्दू परिषद और द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा बुलाई गई अलग - अलग धर्म संसद से अखाड़ों के साधू -संत पशोपेश में हैं. साधू -संतों का मानना है कि दो अलग -अलग धर्म संसद होने से धर्माचार्य दो खेमों में बंट जाएंगे और इससे कुंभ मेले में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच गलत संदेश जाएगा.


इस मामले में साधू - संतों की बेचैनी को देखते हुए उनकी सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस बारे में वीएचपी के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से बातचीत कर इस मामले को सुलझाने के लिए पहल करने का फैसला किया है.


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि का कहना है कि वह और अखाड़ा परिषद के दूसरे पदाधिकारी इस बारे में शंकराचार्य और वीएचपी दोनों से बात कर उन्हें साझा धर्म संसद करने के लिए तैयार करने की कोशिश करेंगे. उनके मुताबिक़ अलग - अलग धर्म संसद होने से लोगों में गलत संदेश जाएगा और राम मंदिर मुद्दे पर सरकार पर कोई दबाव भी नहीं बन सकेगा.


महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ वह लोग जल्द ही शंकराचार्य व वीएचपी के लोगों से मुलाक़ात कर उन्हें यह समझाने की कोशिश करेंगे कि एक ही तरह के मुद्दे पर अलग अलग धर्म संसद बुलाने का कोई औचित्य नहीं है. गौरतलब है कुंभ मेले में वीएचपी की धर्म संसद 31 जनवरी और एक फरवरी को है.


वीएचपी ने अपनी धर्म संसद के लिए धर्माचार्यों के साथ ही बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा, संघ प्रमुख मोहन भागवत, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी न्यौता भेजा है. वीएचपी की धर्म संसद से पहले द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने अठाइस से तीस जनवरी तक तीन दिनों की परम धर्म संसद बुलाने का एलान किया है.