नई दिल्ली: कुंभ मेले में पुरुष नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया के बारे आपने सुना होगा लेकिन क्या आप महिला नागा साधुओं के बारे में जानते हैं. क्या आप जानते हैं कि महिला नागा साधू पुरुषों से कितने अलग होते हैं. आज हम आपको महिला नागा साधू बनने की प्रकिया के बारे में बताने जा रहे हैं. बता दें कि कुंभ मेले में हजारों-हजार संख्या में नागा साधुओं की मौजूदगी होती है. आने वाले कुंभ मेले में भी महिला नागा साधुओं की संख्या काफी होगी.


कैसे बनती हैं महिलाएं नागा साधू


महिलाओं के लिए नागा साधू बनने की प्रक्रिया काफी मुश्किलों भरा है. जिन महिलाओं को साधू बनना और दीक्षा लेना चाहती है, उन्हें अखाड़े में शामिल होना होता है. उसके आचार्य महामंडलेश्वर ही उसे दीक्षा देते है. महिला को 10 से ज्यादा सालों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. इसके बाद उनका मुंडन किया जाता है. उन्हें स्वयं का पिंडादान और तर्पन करना पड़ता है. उन्हें परिवार और सभी सगे संबंधियों से नाता तोड़ना पड़ता है.


पुरुष और महिला नागा साधुओं में फर्क

महिला को महिला नागा साधू बनने के बाद पुरुषों के समान नहीं रहना पड़ता. उन्हें कपड़ो के मामले में छूट मिली हुई है. वह एक पीला वस्त्र लपेटकर रखती है. महिला नागा सन्यासिन पूरा दिन भगवान का जप करती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना होता है. इसके बाद नित्य कर्मो के बाद शिवजी का जप करती है दोपहर में भोजन करती है और फिर से शिवजी का जप करती है. शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा करती है और इसके बाद शयन.