Kumbh Mela 2019: पहली बार देशभर से वनवासी करेंगे कुंभ का दर्शन, 12 से 15 फरवरी तक होगा जनजाति समागम
वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अतुल जोग ने बताया कि इस समागम से कुंभ में आए लोगों और प्रयागवासियों को यह पता चलेगा कि इतना विशाल और समृद्ध समाज भारत में निवास करता है. वहीं दूसरी ओर, कुंभ के माध्यम से वनवासी, समरस हिंदू समाज का दर्शन कर सकेंगे.
प्रयागराज: भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम भाग से पहली बार जनजाति समाज के लोग कुंभ मेले का दर्शन करने के लिए 12 फरवरी को यहां जुट रहे हैं. इनमें से कई वनवासी ऐसे हैं जो पहली बार ट्रेन में चढ़ रहे होंगे.
वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अतुल जोग ने बताया, “कुंभ में प्रायः मध्य भारत जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड से जनजाति समाज के लोग आते रहे हैं, लेकिन वनवासी कल्याण आश्रम पहली बार केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तर भारत में हिमाचल, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर से असम, मेघालय, अरुणाचल, नागालैंड से वनवासियों को कुंभ में ला रहा है.”
उन्होंने बताया, “लगभग छह हजार वनवासी यहां विश्व हिंदू परिषद के शिविर में आएंगे और लगभग 100 से अधिक जनजातियों का प्रतिनिधित्व होगा. 12 से 15 फरवरी तक जनजाति समागम में ये लोग शामिल होंगे.”
जोग ने बताया, “इस समागम से कुंभ में आए लोगों और प्रयागवासियों को यह पता चलेगा कि इतना विशाल और समृद्ध समाज भारत में निवास करता है. वहीं दूसरी ओर, कुंभ के माध्यम से वनवासी, समरस हिंदू समाज का दर्शन कर सकेंगे. समाज और देश को जोड़ने और समरसता का भाव पैदा करने का यह एक प्रयास है.”
इस समागम में तीन प्रमुख कार्यक्रम होंगे. महाराष्ट्र के त्रयम्बकेश्वर के आश्रम में रहने वाले महामंडलेश्वर रघुनाथ जी महाराज 12 फरवरी को सुबह 10 बजे इस समागम का उद्घाटन करेंगे. रघुनाथ जी महाराज स्वयं जनजाति समाज से हैं और वह सभी कार्यक्रमों की अगुवाई करेंगे.
उन्होंने बताया कि एक प्रदर्शनी में जनजाति समाज की विभिन्न पूजा पद्धतियों और उनके श्रद्धा स्थलों को दर्शाया जाएगा. यह प्रदर्शनी लोगों को जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान कराएगी.
जोग ने बताया कि समागम का औपचारिक उद्घाटन 12 फरवरी को शाम 3 बजे किया जाएगा जिसमें जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद, स्वामी रघुनाथ महाराज के साथ ही जनजाति समाज के कई प्रबुद्ध लोग शामिल होंगे.
उन्होंने बताया कि इस समागम में प्रतिदिन तीन घंटे विभिन्न जनजातियों के पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा. देश के लगभग 60 जनजाति समुदाय इसमें नृत्य प्रस्तुत करेंगे. रिकॉर्ड बजाकर नाचने की परंपरा देशभर में आ गई है, लेकिन इस समागम में रिकार्ड पर कोई भी नृत्य नहीं होगा. यहां पारंपरिक गीत गाए जाएंगे और वाद्य यंत्र भी परंपरागत रहेंगे.
जोग ने बताया कि तीसरा प्रमुख कार्यक्रम 14 फरवरी को सुबह 9 बजे होगा जिसमें सभी 6,000 जनजाति लोग अपनी पारंपरिक पोषाक और वाद्य यंत्रों के साथ शोभा यात्रा निकालेंगे और त्रिवेणी संगम पर स्नान के लिए जाएंगे. इस यात्रा की अगुवाई जगद्गुरू स्वामी वासुदेवानंद करेंगे. साथ में महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद महाराज और रघुनाथ जी महाराज भी रहेंगे.