नई दिल्ली: कुंभ में आज महाशिवरात्री का पवित्र स्नान है. कुंभ में अब तक 22 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं. आज भी महाशिवरात्री को 70 से 80 लाख लोगों के संगम में डुबकी लगाने का अनुमान है. इसमें हिस्सा लेने के लिए देश के कोने-कोने से लोग संगम तट पर पहुंचे हैं. पर क्या आप जानते हैं कि कुंभ में होने वाले स्नानों का आखिर क्यों इतना महत्व है और इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं? कुंभ मेला दुनिया भर में होने वाले धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा होता है. कुंभ का पर्व हर 12 साल के अंतराल पर किसी एक पवित्र नदी के तट पर मनाया जाता है. हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहाबाद में त्रिवेणी गंगा, यमुना और सरस्वती संगम पर कुंभ मनाया जाता है.
क्या है महाशिवरात्री की मान्यता
महाशिवरात्रि के दिन पवित्र संगम का आखिरी स्नान होता है. यह दिवस कल्पवासियों का अन्तिम स्नान पर्व है और सीधे भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़ा है. इस दिन स्नान का भी बहुत महत्व है. भगवान शंकर और माता पार्वती से सीधे जुड़ाव के नाते कोई भी श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत ओर संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. कहते हैं कि देवलोक भी इस दिन का इंतजार करता है.
कुंभ मेले की पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के मुताबिक, जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. कुंभ का अर्थ है- कलश, ज्योतिष शास्त्र में कुंभ राशि का भी यही चिह्न है. कुंभ मेले की पौराणिक मान्यता अमृत मंथन से जुड़ी हुई है.
माना जाता है कि देवताओं और राक्षसों ने समुद्र के मंथन से प्रकट होने वाले सभी रत्नों को आपस में बांटने का निर्णय किया. समुद्र के मंथन द्वारा सबसे मूल्यवान रत्न अमृत निकला था जिसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष हुआ.
इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरीं, तब से प्रत्येक 12 सालों के अंतराल पर इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. 12 साल के मतलब का देवताओं का बारह दिन होता है.
3200 हेक्टेअर से अधिक भूमि पर आयोजित हो रहा है मेला
कुंभ 3200 हेक्टेअर से अधिक भूमि पर आयोजित किया गया है. पूरे क्षेत्र को नौ जोन और 20 सेक्टरों में बांटा गया है. यहां बीस हजार से अधिक पुलिसकर्मी, छह हजार होमगार्ड, 40 थाने, 58 चौकियां, 40 दमकल स्टेशन, केन्द्रीय बलों की 80 कंपनियां और पीएसी की 20 कंपनियां तैनात की गयी हैं.