प्रयागराज: संगम के शहर प्रयागराज में शुरू हो रहे कुंभ मेले में सैकड़ों साधू-संतों ने अभी से डेरा जमा लिया है, लेकिन जूना अखाड़े के महंत गोल्डन बाबा श्रद्धालुओं के बीच ख़ास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. तकरीबन तेईस किलो सोने के आभूषण और सत्ताईस लाख कीमत की घड़ी पहनने के बाद गोल्डन बाबा जहां भी निकलते हैं, वहां उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है. गोल्डन बाबा मेले में तो पहुंच गए हैं, लेकिन साढ़े छह करोड़ के गहनों से लदे होने के बावजूद वह इस बार के कुंभ में अपना कैंपनहीं लगाएंगे. आस्था के कुंभ में कैंप न लगाने के पीछे एक ख़ास वजह है, जो थोड़ी सियासी है.



प्रयागराज के कुंभ मेले में गोल्डन बाबा की भी इंट्री हो गई है, वह भी पूरे शाही अंदाज़ में. गोल्डन बाबा कई दिन पहले ही रथ पर सवार होकर अपने दर्जनों भक्तों के साथ प्रयागराज आ चुके हैं. गोल्डन बाबा शहर से लेकर मेला क्षेत्र तक जहां जाते हैं, वहां उन्हें देखने और उनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ लग जाती है. सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े जूना अखाड़े के महंत गोल्डन पुरी महाराज उर्फ़ गोल्डन बाबा तकरीबन तेईस किलों सोने के गहने से लदे होते हैं. यानी गोल्डन बाबा के शरीर पर तकरीबन साढ़े छह करोड़ रूपये के गहने होते हैं. इतना ही नहीं उनकी कलाई पर बंधी रोलेक्स कंपनी की इम्पोर्टेड घड़ी की कीमत भी सत्ताईस लाख के करीब है.



ऊपर से नीचे तक सोने के गहनों से लदे होने की वजह से ही वह हजारों की भीड़ में भी अलग दिखते हैं. दिल्ली के रहने वाले गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है. संत बनने से पहले वह गारमेंट और लाइट्स के कारोबारी थे. हरिद्वार में आश्रम बनाने के बाद गोल्डन बाबा ने खुद को कारोबार से अलग कर लिया, लेकिन बाबा के करीबी उनके कारोबार को आज भी बखूबी संभाल रहे हैं. हालांकि गोल्डन बाबा को अपने अतीत के बारे में बातें करना कतई पसंद नहीं है.



गोल्डन बाबा भले ही साढ़े छह करोड़ रूपये के सोने के गहनों से लदे रहते हों, लेकिन आर्थिक मंदी के चलते वह इस बार के कुंभ में अपना कैम्प नहीं लगाएंगे. गोल्डन बाबा का कहना है कि नोटबंदी और आर्थिक मंदी समेत मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से उन्हें भी काफी नुक़सान हुआ है और उनके पास कैम्प लगाने के पैसे नहीं बचे हैं. बाबा के मुताबिक़ नोटबंदी और जीएसटी के चलते उनका अपना कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसके साथ ही भक्तों पर भी इसका बुरा असर पड़ने से अब वह लोग भी चढ़ावे और चंदे में काफी कटौती करने लगे हैं.



गोल्डन बाबा का कहना है कि कैम्प लगाने और वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लंगर व दूसरे इंतजामों पर डेढ़ से दो करोड़ रूपये का खर्च आता है. मोदी सरकार की नीतियों की वजह से उनके पास पैसे नहीं है, इसलिए इस बार के कुंभ में वह मेला क्षेत्र में कैम्प लगाने के बजाय प्रयागराज में किराए का कमरा लेकर रहने को मजबूर होंगे. नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों की वजह से मोदी सरकार गोल्डन बाबा के निशाने पर है.



देश -दुनिया में गोल्डन बाबा के लाखों भक्त हैं. इनमें से तमाम लोग इस बार के कुंभ में आएंगे भी, लेकिन मेले में उनके साथ न रह पाने का इन भक्तों को मलाल भी होगा. वैसे गोल्डन बाबा नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर जिस तरह मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, उससे साफ़ है कि वह 2019 के चुनाव के लिए अपने भक्तों को कुंभ नगरी से सियासी संदेश देने की भी कोशिश जरूर करेंगे.