Kumbh Mela 2019: शाही अंदाज में निकली जूना अखाड़े की पेशवाई, शामिल हुए हजारों संत
इन संतों की संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनको 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 घंटे से ज्यादा का समय लग गया.
प्रयागराज: प्रयाग नगरी में जूना अखाड़े की पेशवाई के साथ आज कुंभ की औपचारिक शुरुआत हो गई. पूरे जूना अखाड़े में नागा साधुओं समेत जूना अखाड़े के पूरे देश के साधु संतों ने हिस्सा लिया. इसमें हाथी, घोड़े समेत ऊंट से नागा साधु अपने आश्रम से निकलकर संगम तट पर बने आश्रम की ओर आए. इन संतों की संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनको 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 घंटे से ज्यादा का समय लग गया.
पूरे पेशवाई की यात्रा के दौरान नागा साधुओं के कई रंग देखने को मिले. एक ओर जहां हाथी घोड़े से चलते साधु पुरानी संस्कृति को दिखा रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ इन्हीं नागाओं में से बहुत से संत ऐसे भी थे जो कारों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल करते नजर आए. कुल मिलाकर कहा जाए तो पुरानी परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता का भी संगम इस पेशवाई में देखने को मिला है.
जूना अखाड़े की पेशवाई में शामिल होने के लिए प्रयागराज में मौजगिरी आश्रम पहुंचे जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा है कि प्रयागराज में आयोजित होने जा रहा कुम्भ मेला दिव्य, अद्भुत और कल्याणकारी होगा. उन्होंने कहा है कि कुम्भ का अर्थ संग्रह यानि जोड़ना है. इसलिए कुम्भ मेले में भारतीय संस्कृति, सभ्यता और उसके संस्कारों का संग्रह लोगों को देखने को मिलेगा.
स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा है कि पश्चिमी देश जहां पूरे विश्व को बाजार मानते हैं, वहीं हमारी संस्कृति पूरे विश्व को परिवार मानती है. इसलिए कुम्भ मेले में आने वाले लोगों को यहां भारतीय संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिलेगी.
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स्वामी अवधेशानंद गिरी ने यह भी कहा कि कुम्भ मेले में मानवीय चेतना के उद्धार के लिए देव सत्ता यहां अलग-अगल रुपों में साकार होगी. कुम्भ मेले को लेकर शासन प्रशासन की तैयारियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि दैवीय विधान के तहत कुम्भ का आयोजन हो रहा है. लेकिन इस आयोजन में सरकारी मशीनरी की भूमिका भी प्रशंसनीय है.
कुम्भ मेले में पूरी दुनिया के देशों से अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक, दार्शनिक, विचारक और मनीषी आ रहे हैं. इसके साथ ही कुम्भ के महत्व को यूनेस्कों ने भी स्वीकार करते हुए इसे मानवता की अमूर्त धरोहर में शामिल कर लिया है, जिससे इस आयोजन का महत्व और भी बढ़ गया है.
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