प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में नोटबंदी और जीएसटी के बहाने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधने वाले चर्चित संत गोल्डनपुरी महाराज उर्फ़ गोल्डन बाबा को जूना अखाड़े से बर्खास्त कर दिया गया है. अखाड़े की पेशवाई निकलने से महज कुछ घंटे पहले ही गोल्डन बाबा की जूना अखाड़े से बर्खास्तगी को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. अखाड़े ने उन्हें कुंभ में दूसरों की ज़मीन पर कब्ज़ा करने, रोकने गए सरकारी कर्मचारियों से बदसलूकी करने और उत्तराखंड से मिले सरकारी गनर को धमकाकर अनुमति के बिना ही कई दिनों तक प्रयागराज में रखने के मामले में बर्खास्त किया है.


हालांकि, चर्चा यह भी है कि गोल्डन पुरी बाबा को नोटबंदी और जीएसटी के बहाने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की वजह से निकाला गया है. जूना अखाड़े ने गोल्डन बाबा के साथ ही चार अन्य संतों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है. तकरीबन साढ़े छह करोड़ रुपये कीमत के तेईस किलो सोने के गहने पहनने वाले गोल्डन बाबा जूना अखाड़े के नगर प्रवेश में रथ पर सवार होकर प्रयागराज आए थे और सबसे ज़्यादा आकर्षण के केंद्र थे.


जूना अखाड़े ने गोल्डन बाबा के साथ ही श्रीमहंत देवेंद्र पुरी, थानापति शिवओमपुरी, थानापति मनोहर पुरी और श्रीमहंत पूजा पुरी को अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर कर दिया है. गोल्डन बाबा और चार अन्य बाबाओं को अखाड़े से बाहर करने का फैसला जूना अखाड़े की बावन सदस्यीय कार्यकारिणी में लिया गया है.


दिल्ली के रहने वाले गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है. संत बनने से पहले वह गारमेंट और लाइट्स के कारोबारी थे. हरिद्वार में आश्रम बनाने के बाद गोल्डन बाबा ने खुद को कारोबार से अलग कर लिया, लेकिन बाबा के करीबी उनके कारोबार को आज भी बखूबी संभाल रहे हैं. प्रयागराज के कुंभ मेले में गोल्डन बाबा की इंट्री 28 नवंबर को अखाड़े के नगर प्रवेश के साथ ही हो गई थी.


सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े जूना अखाड़े के महंत गोल्डन पुरी महाराज उर्फ़ गोल्डन बाबा तकरीबन तेईस किलो सोने के गहने से लदे होते हैं. यानी गोल्डन बाबा के शरीर पर तकरीबन साढ़े छह करोड़ रूपये के गहने होते हैं. इतना ही नहीं उनकी कलाई पर बंधी रोलेक्स कंपनी की इम्पोर्टेड घड़ी की कीमत भी सत्ताईस लाख के करीब है.


ऊपर से नीचे तक सोने के गहनों से लदे होने की वजह से ही वह हजारों की भीड़ में भी अलग दिखते हैं. हफ्ते भर पहले मेला क्षेत्र से रवाना होने से पहले गोल्डन बाबा शहर से लेकर मेला क्षेत्र में जहां भी जाते थे, वहां उन्हें देखने और उनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ लग जाती थी.


गोल्डन बाबा भले ही साढ़े छह करोड़ रूपये के सोने के गहनों से लदे रहते हों, लेकिन आर्थिक मंदी के चलते उन्होंने इस बार के कुंभ में अपना कैम्प नहीं लगाने का एलान किया था. प्रयागराज पहुंचने के बाद गोल्डन बाबा ने कहा था कि नोटबंदी और आर्थिक मंदी समेत मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से उन्हें भी काफी नुक़सान हुआ है और उनके पास कैम्प लगाने के पैसे नहीं बचे हैं. बाबा के मुताबिक़ नोटबंदी और जीएसटी के चलते उनका अपना कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इसके साथ ही भक्तों पर भी इसका बुरा असर पड़ने से अब वह लोग भी चढ़ावे और चंदे में काफी कटौती करने लगे हैं.


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गोल्डन बाबा का कहना है कि कैम्प लगाने और वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लंगर व दूसरे इंतजामों पर डेढ़ से दो करोड़ रूपये का खर्च आता है. मोदी सरकार की नीतियों की वजह से उनके पास पैसे नहीं है, इसलिए इस बार के कुंभ में वह मेला क्षेत्र में कैम्प लगाने के बजाय प्रयागराज में किराए का कमरा लेकर रहने को मजबूर होंगे. नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों की वजह से गोल्डन बाबा ने कई बार मोदी सरकार पर निशाना साधा था. इसी वजह से जूना अखाड़े से उन्हें बाहर निकाले जाने पर सवाल उठ रहे हैं.


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