प्रयागराज: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मेले कुंभ में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने बुधवार को 60 महिला नागा सन्यासियों को दीक्षा दी. एक संत ने बताया कि अखाड़े के साधु-महात्मा महिला के घर और उसके पिछले जीवन के बारे में जांच पड़ताल करते हैं और इन सबके बाद गुरू के इस बात से संतुष्ट होने पर कि अमुक महिला ब्रह्मचर्य का पालन कर सकती है तभी उसे दीक्षा दी जाती है.


नागा साधुओं के अखाड़ों में महिला सन्यासियों की एक खास पहचान होती है और ये महिला साधु पुरूष नागाओं की तरह नग्न रहने के बजाए एक गेरूआ वस्त्र लपेटे रहती हैं. महिला नागा सन्यासियों को बिना वस्त्रों के शाही स्नान करना वर्जित रहता है.


जूना अखाड़े की महामंत्री शैलजा देवी ने बताया कि किसी भी पुरूष या महिला को नागा संन्यासी बनने से पहले उसे साधु का जीवन व्यतीत करना पड़ता है. लम्बे समय के बाद कई पड़ाव पार करने के बाद उन्हें नागा सन्यांसी बनने की दीक्षा दी जाती है.


उन्होंने बताया कि सन्यास लेने वाली सन्यासिनियों को उनके इच्छा के अनुसार अखाड़ा चुनना होता है और उसी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर उन्हें दीक्षा देते हैं.


उन्होंने बताया, ‘‘पूर्व में सन्यांस धारण किये महिलाओं सन्यासियों को पूरे विधि-विधान से अखाडो की परंपरा के अनुसार उनका मुंडन कराया गया और फिर उन्हें गोमूत्र, दही, भस्म, गोबर,चंदन और हल्दी दशविधि से स्नान कराया गया. उसके बाद गंगा में स्नान कराया गया. इस स्नान के बाद उनके सारे पाप धुल जाते हैं. ये सभी अब आजीवन एक समय भोजन ग्रहण करेंगी और जमीन पर सोएंगी.’’ उन्होंने बताया कि अब रात में विजया हवन संस्कार होगा. इसके बाद तीन चरण की प्रक्रिया से गुजरने के बाद मौनी अमावश्या को इनका पहला शाही स्नान होगा.


उल्लेखनीय है कि जूना अखाड़े में गत रविवार को 1100 नागा सन्यासियों को दीक्षा दी गयी थी.