प्रयागराज: विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले- कुंभ को लेकर मेला प्रशासन द्वारा जारी की गई एक विज्ञप्ति में दावा किया गया कि मकर संक्रांति से लेकर अब तक लगभग 12.5 करोड़ लोगों ने स्नान किया.
मेला प्रशासन की विज्ञप्ति के मुताबिक, कुंभ मेला 14 जनवरी, 2019 को मकर संक्रांति पर्व के साथ शुरू हुआ और तब से लगातार श्रद्धालुओं और साधु संतों का मेले में आगमन और स्नान जारी है. 14 जनवरी से दो फरवरी तक करीब 7.49 करोड़ लोगों ने स्नान किया.
मेला प्रशासन का दावा है कि तीन फरवरी से चार फरवरी शाम 5 बजे तक लगभग पांच करोड़ लोगों ने सोमवती मौनी अमावस्या पर गंगा और संगम स्नान किया. विज्ञप्ति के मुताबिक सोमवार को रात्रि तक स्नान करने का सिलसिला जारी है और कुंभ पर्व पर अब तक लगभग 12.5 करोड़ लोगों ने स्नान कर लिया है.
3200 हेक्टेअर से अधिक भूमि पर आयोजित हो रहा है मेला
कुंभ 3200 हेक्टेअर से अधिक भूमि पर आयोजित हो रहा है और इसमें अगले आने वाले दिनों में और अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. पूरे क्षेत्र को नौ जोन और 20 सेक्टरों में बांटा गया है. यहां बीस हजार से अधिक पुलिसकर्मी, छह हजार होमगार्ड, 40 थाने, 58 चौकियां, 40 दमकल स्टेशन, केन्द्रीय बलों की 80 कंपनियां और पीएसी की 20 कंपनियां तैनात की गयी हैं.
मौनी अमावस्या: मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान व दान पुण्य का खास महत्व है. स्नान के बाद तर्पण से पूवजरें को शांति मिलती है. यह व्यापक मान्यता है कि इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है. इसी दिन प्रथम तीर्थांकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और यहीं संगम के पवित्र जल में स्नान किया था. इस दिन मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ होती है.
कुंभ के ये स्नान हैं बाकी
10 फरवरी बसंत पंचमी: हिन्दू मान्यता के अनुसार विद्या की देवी सरस्वती के अवतरण इसी दिन हुआ था. बसंत पंचमी का दिन ऋतु परिवर्तन का संकेत भी है. कल्पवासी बसंत पंचमी के महत्व को चिन्हित करने के लिए पीले वस्त्र धारण करते हैं.
19 फरवरी माघी पूर्णिमा: कहा जाता है कि यह दिन देवताओं के गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन हिन्दू देवता गंधर्व स्वर्ग से पधारे थे. इस दिन पवित्र घाटों पर तीर्थयात्रियों की बाढ़ इस विश्वास के साथ आ जाती है कि वे सशरीर स्वर्ग की यात्रा कर सकेगें.
4 मार्च महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि के दिन पवित्र संगम का आखिरी स्नान होता है. यह दिवस कल्पवासियों का अन्तिम स्नान पर्व है और सीधे भगवान शंकर और माता पार्वती से जुड़ा है. इस दिन स्नान का भी बहुत महत्व है. भगवान शंकर और माता पार्वती से सीधे जुड़ाव के नाते कोई भी श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत ओर संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. कहते हैं कि देवलोक भी इस दिन का इंतजार करता है.