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Kumbh Mela 2019: कैसे बनते हैं नागा साधू ? कुंभ के बाद कौन सी रहस्यमय दुनिया में चले जाते हैं ये
जब बात कुंभ की आती है तो कई सवाल जहन में उठते हैं. ऐसा ही एक सवाल है नागा बाबाओं के संबंध में. कौन होते हैं ये नागा बाबा और कहां सेआते हैं. सबसे बड़ा सवाल जो हमारे जहन में आता है वह यह है कि आखिर कुंभ में दिखने वाले ये नागा साधू इसके बाद कहां चले जाते हैं ?
Kumbh Mela 2019: जब बात कुंभ की आती है तो कई सवाल जहन में उठते हैं. ऐसा ही एक सवाल है नागा बाबाओं के संबंध में. आखिर कौन होते हैं ये नागा बाबा और कहां से आते हैं ? सबसे बड़ा सवाल जो हमारे जहन में आता है वह यह है कि आखिर कुंभ में दिखने वाले ये नागा साधू इसके बाद कहां चले जाते हैं ? ये कुंभ मेलों में 13 अखाड़ों से आते हैं और कुंभ मेला खत्म होते ही रहस्य़ बन जाते हैं. कोई भला नागा साधू क्यों बनता है और इतनी सर्दी में भी क्यों ये बिना कपड़े के रह लेते हैं. आइए आज नागा साधूओं से संबंधित हर रहष्य को जानने की कोशिश करेंगे.
नागा शब्द की उत्पत्ति
‘नागा’ शब्द बहुत पुराना है. भारत में नागवंश और नागा जाति का इतिहास भी बहुत पुराना है. भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में ही नागवंशी, नागा जाति और दसनामी संप्रदाय के लोग रहते आए हैं. 'नागा' शब्द की उत्पत्ति के बारे में कुछ विद्वानों की मान्यता है कि यह शब्द संस्कृत के 'नागा' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ 'पहाड़' से होता है और इस पर रहने वाले लोग 'पहाड़ी' या 'नागा' कहलाते हैं. इसके अलावा 'नागा' का अर्थ 'नग्न' रहने वाले व्यक्तियों से भी है.
नागा साधू बनना नहीं है आसान
नागा साधू बनना इतना आसान नहीं है. नागा साधू बनने के लिए सबसे पहले अखाड़ा ज्वाइन करना पड़ता है. जहां नागा बनने आए व्यक्ति की कड़ी परीक्षा होती है. सबसे कड़ी परीक्षा ब्रह्मचर्य की परीक्षा होती है. इस दौरान संबंधित साधू को तप, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, ध्यान, संन्यास और धर्म की दीक्षा दी जाती है.
यह परीक्षा कब खत्म होगी इसको लेकर अखाड़ा निर्णय लेता है. हलांकि इसमें 1 साल से अधीक का ही समय ही लगता है. इसके बाद ही उन्हें अगली परीक्षा से गुजरना पड़ता है. अगली परीक्षा में साधूओं को मुंडन कराकर पिंडदान करना होता है. इसके बाद वह खुद को परिवार और सगे-संबधियों से अलग कर लेते हैं. वह सबके लिए मृत होते हैं. वह खुद का श्राद्ध भी करते हैं. श्राद्ध के बाद उन्हें अखाड़े से नई पहचान मिलती है. अब उनकी पूरी जिंदगी अखाड़ों के लिए ही होती है.
नागा साधुओं को विभूति और रुद्राक्ष धारण करना पड़ता है, नागा साधु को अपने सारे बालों का त्याग करना होता है. वह सिर पर शिखा भी नहीं रख सकता या फिर संपूर्ण जटा को धारण करना होता है. उन्हें एक समय भोजन करना होता है।. वो भोजन भी भिक्षा मांग कर लिया गया होता है.
इसके अलावा नागा साधु सोने के लिए पलंग, खाट या अन्य किसी साधन का उपयोग नहीं कर सकता. यहां तक कि नागा साधुओं को गादी पर सोने की भी मनाही होती है. नागा साधु केवल पृथ्वी पर ही सोते हैं.
कहां रहते हैं नागा साधू
नागा साधू ज्यादातार बर्फिले पहाड़ियों जैसे हिमालय पर रहते हैं. इके अलावा गुफाओं में भी वह रहते हैं. कहा जाता है कि वह खाते भी बहुत कम है. वह 24 घंटे में सिर्फ एक बार खाते हैं.
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