Kumbh mela 2019: कुंभ के दौरान आध्यात्मिक सर्जिकल कैम्प लगाएगा नारायण सेवा संस्थान
यूनेस्को की तरफ से 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के रूप में मान्यता प्राप्त कुंभ मेले की तैयारियों इन दिनों जोरों पर है. इस मेले के दौरान मानवता की सेवा करने के लिए नारायण सेवा संस्थान 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के साथ-साथ आर्टिफिशियल लिंब डेवलपमेंट यूनिट भी बनाएगा, जहां दिव्यांग लोगों का नाम लिया जाएगा, ताकि उनके लिए कृत्रिम अंग तैयार किए जा सकें.
प्रयागराज: नारायण सेवा संस्थान (एनएसएस) ने 14 जनवरी से शुरू होने वाले कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में प्रयागराज पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों को बेहतरीन अनुभव देने और उनकी अच्छी मेजबानी करने के लिए मेले में एक आध्यात्मिक सह सर्जिकल कैंप स्थापित करने की योजना बनाई है. गौरतलब है कि नारायण सेवा संस्थान (एनएसएस) एक धर्मार्थ संगठन है, जो राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर में दिव्यांग लोगों के लिए एक स्मार्ट विलेज और एक अस्पताल का संचालन करता है. इसका उद्देश्य दिव्यांग लोगों को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम करके उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है.
यूनेस्को की तरफ से 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' के रूप में मान्यता प्राप्त कुंभ मेले की तैयारियों इन दिनों जोरों पर है. इस मेले के दौरान मानवता की सेवा करने के लिए नारायण सेवा संस्थान 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के साथ-साथ आर्टिफिशियल लिंब डेवलपमेंट यूनिट भी बनाएगा, जहां दिव्यांग लोगों का नाम लिया जाएगा, ताकि उनके लिए कृत्रिम अंग तैयार किए जा सकें.
बाद में इन अनुकूलित अंगों को स्थापित किया जाएगा और दिव्यांग लाभार्थियों को दान किया जाएगा. इस नेक काम के लिए नारायण सेवा संस्थान ने स्वयंसेवकों और दाताओं से स्वैच्छिक कार्यक्रम 'एनएसएस मित्र' के तहत जुड़ने का आग्रह किया था. इस सिलसिले में बड़ी संख्या में, स्वयंसेवकों और दाताओं दोनों ने रुचि दिखाई है और योगदान भी दिया है.
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, "माना जाता है कि कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है. इस पावन अवसर पर मानवता की सेवा के लिए, नारायण सेवा संस्थान तीर्थयात्रियों को चैबीसों घंटे मदद प्रदान करने के लिए तत्पर रहेगा. हम पर्यटकों को व्हीलचेयर और फिजियोथेरेपी की सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमरसिंह चूंडावत के साथ प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक इंजीनियरों तथा आथोर्पेडिक डॉक्टरों की टीम तीर्थयात्रियों की मदद करेगी. हम शल्य चिकित्सा के बाद मरीजों को आवश्यक उपचार भी प्रदान करेंगे, जिनमें फिजियोथेरेपी, ध्यान, योग आदि शामिल हैं."