प्रयागराज: कुंभ मेला के समानांतर चल रहे नेत्र कुंभ की वजह से यह मेला आंख के मरीजों खासकर बुजुर्गों के लिए एक पंथ, दो काज साबित हो रहा है. सेक्टर छह में सात एकड़ क्षेत्र में आयोजित नेत्र कुंभ में बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं.


दिव्यांग लोगों के लिए काम कर रहे संगठन सक्षम की अगुवाई में आयोजित इस नेत्र कुंभ के बारे में सक्षम के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डाक्टर संतोष कुमार क्रलेती ने बताया कि 12 जनवरी से प्रारंभ हुए नेत्र कुंभ में 23,000 से अधिक मरीजों की ओपीडी हो चुकी है.


उन्होंने बताया कि देश के सभी नामचीन नेत्र चिकित्सालयों के नेत्र विशेषज्ञ इस नेत्र कुंभ में निःशुल्क सेवाएं देने आ रहे हैं जिसमें मदुरै का अरविंद नेत्रालय, चेन्नई का शंकर नेत्रालय, हैदराबाद का एल.वी. प्रसाद आई हॉस्पिटल, चित्रकूट का सद्गुरू आई हॉस्पिटल, सीतापुर आई हास्पिटल, अमृता इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज आदि शामिल है.


क्रलेती ने बताया, “हमें यहां कॉर्नियल ब्लाइंडनेस, मोतियाबिंद, ग्लुकोमा, क्विंट जैसे सभी मामले देखने को मिल रहे हैं. यह किसी एक संगठन का आयोजन नहीं है बल्कि कई संगठन यह काम कर रहे हैं. सक्षम एक मंच है जहां सभी एकत्र हुए हैं.”


उन्होंने बताया कि इस नेत्र कुंभ में जम्मू कश्मीर से आठ डाक्टर, मणिपुर से सात डाक्टर आए हैं. इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, गुवाहाटी जैसी जगहों से सेवा करने की भावना से 370 डाक्टर अपने खर्च पर आ रहे हैं. प्रत्येक डाक्टर पांच से 10 दिन यहां ठहर रहे हैं.


उन्होंने बताया कि इस नेत्र कुंभ में आपरेशन के लायक मरीजों को उसके घर के आसपास के अस्पतालों में रेफर किया जाता है और नेत्र कुंभ में जारी पर्ची के आधार पर वह निःशुल्क इलाज करा सकता है.


डाक्टर क्रलेती ने बताया कि अभी तक 13340 मरीजों को निःशुल्क चश्मे का वितरण किया जा चुका है. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नेत्र कुंभ के अंतिम दिन चार मार्च तक हमें तीन लाख तक चश्मे वितरित होने और पांच लाख तक ओपीडी होने की उम्मीद है. यहां आंखों की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं.


उन्होंने बताया कि अभी तक नेत्र कुंभ से 2400-2500 मरीजों को आपरेशन के लिए रेफर किया जा चुका है. नेत्र कुंभ के उद्घाटन के समय परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद ने अगला नेत्र कुंभ हरिद्वार में अपने खर्च पर लगवाने की पेशकश की है.


उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष 50,000 नेत्रदान होते हैं, जबकि श्रीलंका जैसे देश में प्रतिवर्ष 3.5 लाख नेत्रदान किए जाते हैं. दुनियाभर में दृष्टिहीन व्यक्तियों की संख्या करीब तीन करोड़ है जिसमें से एक करोड़ भारत में हैं. इसे देखते हुए भारत में नेत्रदान को लेकर जागरूकता बढ़ाने की बहुत जरूरत है.