Kumbh Mela 2019: केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने कहा- अखाड़ों से मिलती है अनुशासन की प्रेरणा
निरंजन ज्योति ने कहा, “मैं समझती हूं कि संत परंपरा में इससे बड़ा कोई सम्मान नही हो सकता. राजधर्म और धर्म दोनो अलग नहीं है. यह एक सिक्के के दो पहलू हैं. में पहले संत हूं बाद में राजनेता.”
प्रयागराज: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम कुंभ मेले में सोमवार को श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़े में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री निरंजन ज्योति का पट्टाभिषेक किया गया. गंगा पार झूंसी में निरंजनी अखाड़ा के शिविर में निरंजन ज्योति का विधि-विधान से पट्टाभिषेक किया गया. अब वह निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाडा के सचिव महंत नरेन्द्र गिरि ने बताया कि निरंजन ज्योति पहली महिला हैं जो केन्द्र की मंत्री होने के साथ ही महिला महामंडलेश्वर के रूप में 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर शाही स्नान करेंगी. इससे पहले किसी भी अखाड़े में कोई केन्द्रीय मंत्री महामंडलेश्वर नहीं बना है.
निरंजन ज्योति के साथ एबीपी न्यूज़ की बातचीत के इस वीडियो को भी देखें-
गिरि ने बताया कि निरंजन ज्योति निरंजनी अखाड़े की 11वीं महिला महामंडलेश्वर होंगी. सनातन परंपरा में संन्यासी बनना सबसे कठिन कार्य है. शिक्षा, ज्ञान और संस्कार के साथ सामाजिक स्तर को ध्यान में रखते हुए संन्यासी को महामंडलेश्वर जैसे पद पर बिठाया जाता है.
उन्होंने बताया कि सन्यांसी को साधु संन्यास परंपरा से होना चाहिए, वेद का अध्ययन, चरित्र, व्यवहार एवं अच्छा ज्ञान हो, अखाड़ा कमेटी उसके निजी जीवन की पड़ताल से संतुष्ट हो तो पट्टाभिषेक होता है. अखाड़े में महामंडलेश्वर सम्मान का पद होता है.
महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि सभी 13 अखाडों के प्रतिनिधियों और महामंडलेश्वरों के बीच निरंजन ज्योति का पट्टाभिषेक किया गया. उनके महामंडलेश्वर बनने से उनके कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आयेगा.
निरंजन ज्योति ने कहा, “ मैं समझती हूं कि संत परंपरा में इससे बड़ा कोई सम्मान नही हो सकता. राजधर्म और धर्म दोनो अलग नहीं है. यह एक सिक्के के दो पहलू हैं. में पहले संत हूं बाद में राजनेता.”