प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में आए कई संत - महात्मा अपने अनूठे अंदाज़ व ख़ास गेटअप की वजह से श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इन्ही में एक हैं शिवयोगी मौनी महाराज, जिन्हे लोग रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से जानते हैं. मौनी महाराज ग्यारह हजार रुद्राक्षों की माला पहनकर जब मेले में निकलते हैं तो उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती हैं. कौन हैं रुद्राक्ष वाले मौनी बाबा और सिर से कमर तक ग्यारह हज़ार रुद्राक्ष की माला पहनने के पीछे क्या है उनका संकल्प, यह जानते हैं.


सिर से कमर तक रुद्राक्ष ही रुद्राक्ष. रुद्राक्ष की एक - दो नहीं बल्कि तकरीबन पांच सौ मालाएं. कोई माला ग्यारह रुद्राक्ष की तो कोई इक्कीस- इक्यावन और एक सौ आठ रुद्राक्षों की. बाबा के शरीर पर तो रुद्राक्ष रहती ही है, इसके साथ ही करीब सौ माला वह अपने सिर पर भी बांधे रहते हैं. इनमे कई रुद्राक्ष एकमुखी हैं तो कई सोलह मुखी तक. ग्यारह हजार रुद्राक्ष का संकल्प करीब साल भर पहले ही पूरा हो चुका है और वह इक्यावन हजार रुद्राक्ष धारण करने के लक्ष्य पर हैं.


ग्यारह हजार से ज़्यादा रुद्राक्ष धारण करने वाले ये बाबा हैं शिवयोगी मौनी महाराज. मौनी बाबा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र अमेठी के परमहंस आश्रम के महंत हैं. मौनी महाराज उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा की खासियत यह है कि वह न तो खरीदे हुए रुद्राक्ष पहनते हैं और न ही किसी से मांगते हैं. वह सिर्फ वही रुद्राक्ष पहनते हैं, जो किसी संत या महापुरुष द्वारा उन्हें भेंट की जाती है.


मौनी महाराज इन रुद्राक्षों की रोज़ पूजा करते हैं. उन्हें मंत्रों से अभिसिंचित करते हैं और रुद्राक्ष धारण करने के नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं. सोलह मुखी रुद्राक्ष और सिर पर मालाओं से ऊपर सजा चांद के आधे आकार का मुकुट उन्हें कुछ दिनों पहले नेपाल नरेश ने भेंट किया था.



रुद्राक्ष वाले मौनी महाराज मेले में जहां भी जाते हैं, वहां भीड़ से घिर जाते हैं. रुद्राक्ष की यह मालाएं वह अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के अपने संकल्प के लिए पहनते हैं. अपनी इसी संकल्प के तहत उन्होंने बारह सालों तक मौन धारण किया हुआ था. मौन रहने की वजह से ही लोग उन्हें मौनी बाबा कहने लगे हैं.


मौनी बाबा को करीब आठ साल पहले किसी संत ने पूरे शरीर पर रुद्राक्ष धारण करने का सुझाव दिया. संत के इस सुझाव को उन्होंने राम मंदिर निर्माण के अपने संकल्प से जोड़ लिया था. अपने इसी संकल्प के तहत वह न तो अन्न ग्रहण करते हैं और न ही दो बार से ज़्यादा जल पीते हैं. मौनी बाबा उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा खुद को शिवभक्त कहते हैं.


उनका मानना है कि रुद्राक्षों के जरिये जिस दिन वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन कर लेंगे, उस दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो जाएगा. राम मंदिर का निर्माण शुरू होने पर मौनी बाबा उर्फ़ रुद्राक्ष बाबा अन्न - जल तो ग्रहण करने लगेंगे, लेकिन उनके रुद्राक्षों की संख्या लगातार बढ़ती ही जाएगी. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर रुद्राक्ष वाले बाबा कई बार भू समाधि भी ले चुके हैं.


शिवयोगी मौनी महाराज उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा कुंभ मेले में जहां भी जाते हैं, वहां उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है. कोई उनके रुद्राक्षों के बारे में जानना चाहता है तो कोई उनके संकल्प के बारे में. मौनी बाबा श्रद्धालुओं की भीड़ से बेपरवाह होकर सिर्फ और सिर्फ अपने संकल्प के पूरा होने का इंतज़ार कर रहे हैं.