प्रयागराज: कुंभ नगरी में लगने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले के लिए मंगलवार को हाथी, घोड़े, ऊंट और बैंड बाजे के साथ श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई निकली. पेशवाई में चांदी के हौदों पर अखाड़ा के महामंडलेश्वर और अन्य साधु संत सवार थे.

पेशवाई एक धार्मिक शोभा यात्रा है जिसमें अखाड़ों के आचार्य, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, साधु-संत और नागा साधुओं का एक बड़ा समूह हाथी, घोड़े और ऊंट पर सवार होकर गंगा के किनारे बनी छावनी में पहुंचता है और पूरे मेले के दौरान वहां प्रवास करता है.

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई निकलने से पहले दारागंज में अखाड़े के आराध्य देवता श्री गुरू कपिल महामुनि और भगवान शंकर की पूजा अर्चना की गई. पेशवाई दारागंज के रास्ते बांध होते हुए मेला क्षेत्र में पहुंची जहां मेला प्राधिकरण के अधिकारियों ने साधु संतों का माला पहनाकर स्वागत किया.

पेशवाई में सबसे आगे हाथी पर सवार साधु संत थे और उनके पीछे अखाड़े की ध्वजा थी. ध्वजा के पीछे घोड़े पर सवार नागा साधुओं का समूह चला. इस समूह के पीछे पालकी में आराध्य देवता विराजमान थे. इसके अगले क्रम में चांदी के हौदे पर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज और आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती जी महाराज विराजमान थे.

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज ने बताया, “जब से अखाड़ों की स्थापना हुई है, तब से अखाड़े की पेशवाई निकाली जाती है. इस अखाड़े की स्थापना 906 ईसवी में हुई थी. दूसरे कुधर्मियों के प्रभाव से यह (पेशवाई) करीब 150 वर्ष बंद भी रहा है.”

उन्होंने कहा, “कुंभ में संत जन आते हैं.. तपस्वी तप के द्वारा, ज्ञानी ज्ञान के द्वारा यहां आकर मंथन करते हैं. प्रजा तक संदेश पहुंचाना साधु का कर्तव्य होता है. जीवात्मा का उद्धार करने के लिए विशेषरूप से कुम्भ का आयोजन होता है.”

पेशवाई जुलूस में राजस्थान के जाडन स्थित ओम आश्रम के महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानंदपुरी के जुलूस में शामिल विदेशी साधु सन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे.

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की पेशवाई में महाराष्ट्र के वासीम और नासिक, हरियाणा के कुरुक्षेत्र, मध्य प्रदेश के खंडवा और उज्जैन, गुजरात के बड़ौदा, राजस्थान के पुष्कर, उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी से साधु संत शामिल थे.