प्रयागराज: प्रयागराज के कुंभ मेले में वृंदावन के नेत्रहीनों की टोली ख़ास संगीतमय अंदाज़ में लोगों के बीच ज्ञान की रोशनी बांट रही है. नौ नेत्रहीनों की यह टोली किसी भी चौराहे पर पहले तो भजन - कीर्तन कर लोगों की भीड़ जुटाती है और उसके बाद उन्हें धर्म के रास्ते पर चलते हुए मानव सेवा के लिए काम करने को प्रेरित करती है. नेत्रहीनों की टोली ढोलक की थाप और हारमोनियम की धुन पर जब भक्ति गीतों को पेश करती है तो उन्हें सुनने व देखने के लिए सैकड़ों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है.
प्रयागराज के कुंभ मेले में भक्ति गीतों के ज़रिये सामाजिक और मानवीय ज़िम्मेदारियों को भूलने वालों को ज्ञान की रोशनी बांटने और उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराने वाले वाले ये कलाकार पूरी तरह नेत्रहीन हैं. इनकी खुद की ज़िंदगी में अंधेरा छाया हुआ है, लेकिन इसके बावजूद यह दूसरों के जीवन में उजाला लाने की कोशिश कर रहे हैं.
ये सभी नेत्रहीन वृंदावन के अंध विद्यालय से जुड़े हुए हैं. कुंभ में नौ नेत्रहीनों की यह टोली हारमोनियम - मजीरे और ढोलक समेत दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ आई हुई है. सभी ने संगीत व गायन की ट्रेनिंग ली हुई है. नेत्रहीनों की यह टोली कुंभ मेले के सेक्टर पंद्रह में किसी चौराहे पर इकट्ठी होती है और ढोल - मजीरे के बीच भक्ति गीत पेश करती है.
इनकी आवाज़ और अंदाज़ इस बात का कतई एहसास नहीं होने देती कि यह पूरी तरह नेत्रहीन हैं और इनकी ज़िंदगी में छाए अँधेरे में उम्मीदों का एक दीया भी टिमटिमाने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रहती. यह खुद नेत्रहीन हैं, लेकिन इनके मजबूत इरादों और नेक पहल को जानकर लोग न सिर्फ वाह वाह करते दिखाई देते हैं, बल्कि इन्हें ईनाम देने और आर्थिक सहायता करने में कतई कोताही नहीं बरतते हैं.
श्री वृंदावन अंध महाविद्यालय से जुड़े ये नेत्रहीन जब कुंभ में किसी जगह पर भजन - कीर्तन शुरू करते हैं तो वहां दर्जनों लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है. लोग भक्ति में मगन होकर इनके संगीत को सुनते हैं और फिर इनकी कोशिशों की तारीफ़ करते हैं. नेत्रहीन कलाकार भी लोगों के बीच ज्ञान की रोशनी बांटने के अपने संकल्प को दोहराते हैं. इन कलाकारों का मानना है कि अगर लोग धर्म के रास्ते पर चलते हुए उसके संदेशों को अमल करें तो तमाम समस्याएं खुद ही ख़त्म हो जाएंगी.
कहावत है विकलांगता अभिशाप होती है, लेकिन कुंभ में आए इन नेत्रहीनों ने अपनी कमज़ोरी को वरदान बनाकर इस अभिशाप को झुठलाने का काम किया है. प्रयागराज के कुंभ में आए ये नेत्रहीन मेले में आए हुए लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इनकी संगीतमय धुनें आस्था के सबसे बड़े मेले से बड़ी सीख और बड़ा संदेश दे रही हैं.
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