200 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास, भक्तों की मुंहमांगी मुरादें पूरी करती हैं मां धर्मशमला
शारदीय नवरात्रि आज 10 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है. नवरात्रि में 9 दिनों तक भक्तजन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-आराधना करते हैं. माता के सिद्द दरबारों में से एक है मां धर्मशमला का मंदिर जहां इन दिनों भक्तों का तांता लगता है.
कुशीनगर: कहते हैं अगर भगवान में आस्था हो तो कुछ भी हो सकता है कुछ ऐसा ही कहना है माता धर्मशमला के दरबार में आने वाले भक्तो का. भक्त कहतें हैं कि माता रानी में शक्ति इतनी है कि सच्चे मन से मांगी हर मुराद को पूरा करती हैं. इस दरबार से कोई खाली नही जाता है. नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. हजारों श्रद्धालु रोज यहां माता के दरबार में दर्शन करने आते हैं और मनचाही मुराद पूरी होती है. मंदिर को शारदीय नवरात्रि में विशेष तरह से सजाया गया है.
आपको बता दें कि कुशीनगर जनपद के रामकोला कस्बे से सटे लगभग 200 साल प्राचीन मां दुर्गा का एक मंदिर है. जिसे धर्मशमला देवी के नाम से जाना जाता है. पहले तो एक छोटा सा मंदिर था लेकिन जैसे-जैसे यहां भक्त आने लगे अब यह विशाल बनता जा रहा है. इस मंदिर में मां दुर्गा की एक मूर्ति है और एक पैर का निशान (चरण पादुका) है. कहा जाता है कि यह चरण पादुका माता रानी जब यहां खड़ी हुई थी तो वही निशान रह गया. अब भक्त यहां उन श्री चरणों के दर्शन करने आते हैं.
भक्तों का इस मंदिर में आस्था ऐसी है कि हर रोज हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. जो मुराद लेकर यहां दर्शन करने आता है माता उसकी वह सभी मुरादें पूरी होती है. ये दरबार लोगों की आस्था का केंद्र है.
मंदिर के पुजारी त्रिलोकी मिश्रा कहते हैं आज भी माता धर्मशामला यहां साक्षात विराजमान हैं. उनका कहना है कि रात में आज भी माता शेर पर सवार होकर यहां घूमती रहती हैं. कई बार उन्होंने उनको साक्षात देखा है. ऐसा वा दावा करते हैं. उनका कहना है कि यहां जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विश्वास से मन्नत मांगता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती है. मां धर्मशमला के दरबार से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है. पुजारी कहते हैं कि नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं और अपनी मनचाही मुराद पूरी करती है.