नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की ऑटोबायोग्राफी 'गोपालगंज टु रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी' ने बिहार का सियासी पारा चढ़ा दिया है. दरअसल इसमें लालू ने दावा किया कि सीएम नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने के छह महीने बाद वापस लौटना चाहते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
जो कुछ लिखा है उसका सबूत है- मनोज झा
आरजेडी के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा इस किताब पर कहा कि जिनके चेहरे पर नकाब हैं वो बेनकाब हो रहे हैं. जो कुछ लिखा गया है उसका सुबूत है. नीतीश के दूत विलय तक का प्रस्ताव दे रहे थे. मनोज झा ने दावा किया कि नीतीश कुमार एनडीए में सहज नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि नीतीश के महागठबंधन से अलग होने की वजह तेजस्वी यादव नहीं थे.
वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश को लेकर यही दावा किया. उन्होंने कहा, ''मैं ये पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि नीतीश कुमार ने हमारे साथ महागठबंधन में वापस आने के लिए कई प्रयास किए. एनडीए में शामिल होने के छह महीने तक उन्होंने अलग-अलग तरीके से कोशिश की.''
यह चर्चा में रहने का केवल घटिया प्रयास- प्रशांत किशोर
उधर नीतीश कुमार को लेकर लालू यादव के दावे पर प्रशांत किशोर ने पलटवार किया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि लालू यादव का आरोप पूरी तरह से निराधार है. जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा, ''लालू यादव का दावा झूठा है. किसी भी नेता के चर्चा में रहने का यह केवल घटिया प्रयास है जिसके अच्छे दिन गुजर चुके हैं. हां मैं जेडीयू में शामिल से होने से पहले हम कई बार उनसे मिले थे लेकिन मैं अगर यह बता दूं कि किन बातों को लेकर चर्चा हुई थी तो वह (लालू यादव) बुरी तरह से शर्मिंदा हो जाएंगे.''
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