लालू यादव की किताब की जुबानी, राजनीति में तेजस्वी यादव की एंट्री की कहानी
लालू यादव ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि एक बार तेजस्वी यादव पार्टी कार्यालय में पहुंचे. उन्होंने तेजस्वी का परिचय वहां मौजूद पत्रकारों से कराया. अगले दिन अखबार इस रिपोर्ट से भरे थे कि उन्होंने तेजस्वी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया है.
नई दिल्ली: आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव की आत्मकथा 'गोपालगंज टु रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी' पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं. इस किताब में उन्होंने दावा किया कि एनडीए में जाने के बाद भी नीतीश कुमार महागठबंधन में वापस आना चाहते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया. राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने भी यही बात दोहराई.
'गोपालगंज टु रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी' में लालू यादव ने अपने राजनीतिक सफर का ब्यौरा लिखा है. इसमें एक अंश तेजस्वी यादव की राजनीति में एंट्री को लेकर भी है. किताब में मुताबिक क्रिकेट से संबंध रखने वाले तेजस्वी यादव एक बार घर आए हुए थे. इस दौरान पार्टी कार्यालय में वह देखने चले गए कि वहां क्या हो रहा है. लालू बताते हैं, ''वह प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में हमारे पास आया तो मैंने उससे बैठने के लिए कहा. वहां मौजूद पत्रकारों से परिचय कराया कि यह मेरा बेटा है.''
लालू यादव ने आगे बताया, ''इसके तुरंत बाद टेवीविजन चैनल वालों ने तेजस्वी का फोटो दिखानी शुरू कर दी और उसे मेरे उत्तराधिकारी के रूप में पेश करना शुरू कर दिया. अगले दिन समाचार पत्र रिपोर्ट से भरे हुए थे जिसमें यह लिखा गया था कि मैंने तेजस्वी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया था.''
किताब में लालू यादव ने साल 2013 का जिक्र भी किया जब क्रिकेट खेलने वाले तेजस्वी यादव को कुछ चोटों का सामना करना पड़ा. लालू के मुताबिक, ''2013 में उसे कुछ चोटों का सामना करना पड़ा. उसी वर्ष रांची में सीबीआई अदालत ने मुझे साजिश के मामले में पांच साल की सजा सुनाई और पहली बार मुझे जेल भेज दिया. यह पार्टी और परिवार के लिए एक बार फिर से संकट का समय था. राबड़ी देवी अकेलापन महसूस कर रही थी. तेजस्वी मेरी अनुपस्थिति में घर आया और अपनी बहन और बड़े भाई के साथ मिकर अपनी मां और पार्टी की गतिविधियों की देखभाल में लग गया.''
आरजेडी सुप्रीमो के मुताबिक, ''मेरे पास इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि पिछले पांच सालों में उसने राजनीति में खुद को कैसे ढाला है. वह इस समय बिहार विधानसभा में राजद विधायक दल का नेता और विपक्ष का नेता है. वह सार्वजनिक जीवन जी रहा है. यह जनसमुदाय के ऊपर निर्भर है कि लोग उसे कैसे लेते हैं.'' बता दें कि लालू यादव की इस आत्मकथा को रूपा पब्लिकेशन ने छापा है.