लालू यादव ने जेल में केक काटकर नियम का उल्लंघन किया, वे आदतन अपराधी हैं- नीरज कुमार
बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार ने एक जमीन के कागजात को दिखाते हुए पर आरोप लगाया कि लालू यादव बताएं कि तरुण यादव नाम का उनका बेटा कौन है जिसके नाम पर अपने गांव में जमीन ली है?
पटनाः नीतीश सरकार में मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि लालू यादव द्वारा जेल में केक काटकर जेल मैन्युअल का उल्लंघन किया है. झारखंड की सरकार को इसे देखना चाहिए. बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार सिंह ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि लालू यादव आदतन अपराधी हैं. वह सुधरने वाले नहीं हैं.
नीरज सिंह ने आज एक ज़मीन के कागजात को दिखाते हुए लालू यादव पर आरोप लगाया कि वे बताएं कि तरुण यादव नाम का उनका बेटा कौन है जिसके नाम पर अपने गांव में ज़मीन ली है?
इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि लालू यादव ने अपने सगे बड़े भाई स्व. मंगरु यादव के बेटों से दिनांक 04.11.2003 को नाबालिग तेज प्रताप के नाम 8 कट्ठा 17 धुर जमीन लिखवा ली साथ ही साथ फुलवरिया के कई लोगों से नौकरी के बदले जमीन लिखवाए जाने की भी बात कही.
नीरज कुमार ने कहा, ''लालू जी को बेनामी संपत्ति अर्जित करने की इस कदर भूख थी कि इन्होंने तेजप्रताप और तेजस्वी के अलावा एक और तीसरे बेटे तरुण कुमार यादव के नाम जमीन लिखवा ली जिसका कहीं कोई अता पता नहीं है.''
जेडीयू नेता ने जमीन निबंधन के प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा कि 1989 में पैदा हुए तेज प्रताप के नाम से 1993 में मात्र 4 वर्ष की उम्र में फुलवरिया के लोगों से नौकरी के बदले 3 कट्ठा 11धुर और 6कट्ठा जमीन लिखवा ली जिसमें खरीददार के रुप में तेजप्रताप यादव और तरुण कुमार यादव वल्द लालू प्रसाद यादव का नाम दर्ज है. यहां प्रत्यक्षतः आरोप यह प्रकट होता है कि आखिर तरुण कुमार यादव कौन है, कहां है और तेज प्रताप के साथ सांझे में ली गई जमीन में दोनों के पिता की जगह लालू यादव का नाम कैसे दर्ज है?
नीरज कुमार ने कहा कि इसके अलावा तेजप्रताप के नाम 01.02.94 को भी बलम चौधरी से 2 कट्ठा 16 धुर जमीन लिखवाई गई. इन सभी रजिस्ट्री में अभिभावक के रूप में किसी का कोई उल्लेख नहीं, जो कि सीधे-सीधे बाल उत्पीड़न का मामला बनता है कि आखिर नाबालिग के नाम बिना अभिभावक के उल्लेख के इन्होंने जमीन कैसे लिखवाई? उन्होंने कहा कि कैदी नंबर 3351 पर तो बेनामी संपत्ति बनाने का आरोप लगता रहा है लेकिन अब तो तीसरे बेटे तरुण कुमार यादव को गुमनाम और गुमशुदा रखने का आरोप प्रकट होता है.
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