2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं लालू यादव की बहू ऐश्वर्या राय
गौरतलब है कि खुद ऐश्वर्या राय भी बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखती हैं. ऐश्वर्या राय के दादा दरोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं ऐश्वर्या के पिता बिहार सरकार में मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं और अभी छपरा की परसा विधानसभा सीट से आरजेडी के विधायक भी हैं.
पटना: लालू यादव की बहू और तेज़ प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय जल्द ही राजनीति में क़दम रख सकती हैं. चर्चा है कि सारण से ऐश्वर्या राय चुनावी राजनीति में उतर सकती हैं. सारण कभी लालू यादव का लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था. इन अटकलों की शुरुआत आरजेडी के स्थापना दिवस से पहले लगे पोस्टर से हुई थी जिसमें पहली बार ऐश्वर्या की तस्वीर किसी राजनीतिक होर्डिंग-बैनर पर दिखाई दी थी. एबीपी न्यूज़ ने आरजेडी के कुछ बड़े नेताओं से बात करके इन अटकलों की ज़मीनी हक़ीक़त तलाशने की कोशिश की.
आरजेडी के धुरंधर नेताओं का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनाव में ऐश्वर्या राय ही सारण लोकसभा सीट से आरजेडी की उम्मीदवार होंगी. आरजेडी नेता का दावा है कि चूँकि लालू यादव चुनाव लड़ नहीं सकते और राबड़ी देवी चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं हैं ऐसे में सारण लोकसभा सीट पर ऐश्वर्या का उतरना लगभग तय माना जा रहा है. राबड़ी देवी फ़िलहाल बिहार विधान परिषद में विधानपार्षद और नेता प्रतिपक्ष हैं. वहीं लालू के दोनों बेटे मौजूदा विधायक हैं जबकि सारण ख़ुद ऐश्वर्या राय का गृह ज़िला है. ऐसे में ऐश्वर्या की दावेदारी और मज़बूत हो जाती है.
गौरतलब है कि खुद ऐश्वर्या राय भी बड़े राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखती हैं. ऐश्वर्या राय के दादा दरोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं ऐश्वर्या के पिता बिहार सरकार में मंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं और अभी छपरा की परसा विधानसभा सीट से आरजेडी के विधायक भी हैं.
वैसे भी सारण की सियासी पहचान भले ही पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय से भी जुड़ी हो लेकिन इस संसदीय क्षेत्र की कहानी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बिना पूरी नहीं हो सकती है. लालू यादव कभी यहां से सांसद हुआ करते थे लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में फंसने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई और उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई. पिछले लोकसभा चुनाव में सारण सीट पर बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने करीब 40 हजार वोटों से लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया था.
नए परिसीमन के पहले सारण संसदीय क्षेत्र छपरा के नाम से जाना जाता था, जहां से 1977 में महज 29 साल की उम्र में चुनाव जीतकर लालू यादव ने लोकसभा में क़दम रखा था. सारण को लालू यादव का गढ़ माना जाता रहा है. लालू के सामने जब भी चुनौती आई, छपरा ने उनका साथ दिया. साल 2009 में जब वह सारण और पाटलीपुत्र दोनों जगह से लोकसभा चुनाव में मैदान में उरते थे तो पाटलीपुत्र में हार का स्वाद चखना पड़ा था लेकिन तब भी सारण ने ही लालू को सहारा दिया था. इसीलिए सारण को लालू परिवार से जोड़कर देखा जाता है. इसलिए ये माना जा रहा है कि लालू अपने परिवार से सारण को अलग नहीं होने देंगे.
हालांकि ऐश्वर्या के राजनीति में आने का अंतिम फ़ैसला ख़ुद उन्हें ही करना है लेकिन अगर परिवार की मौजूदा स्थिति और आरजेडी सूत्रों के दावों पर ग़ौर करें तो ऐश्वर्या राय के लोकसभा चुनाव में उतरने की सम्भावना प्रबल हो जाती है.
वहीं जेडीयू इन अटकलों पर तंज कस रहा है. जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है क्योंकि लालू यादव परिवरवाद की ही राजनीति करते हैं. ऐश्वर्या राय के चुनावी राजनीति में आने से जेडीयू अपने लिए किसी भी तरह के ख़तरे से फ़िलहाल इंकार कर रही है. जेडीयू प्रवक्ता का दावा है कि कोई भी लड़े जीत एनडीए की ही होगी.